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This Article is From Jun 01, 2018

Ramzan 2018: रमज़ान से जुड़े वो झूठ जिन्हें सच मानते हैं लोग

17 मई से शुरू होकर 15 जून तक चलने वाले हैं. रोज़े के बाद जो ईद होती है उसे ईद-उल-फितर कहते हैं. इसे मीठी ईद भी कहा जाता है. ईद के दिन नमाज से पहले गरीबों में फितरा बांटा जाता है.

Ramzan 2018: रमज़ान से जुड़े वो झूठ जिन्हें सच मानते हैं लोग
रमजान से जुड़े 5 झूठ जिन्हें लोग सच मानते हैं
नई दिल्ली: रमज़ान (Ramzan) का पाक महीना चल रहा है. ज्यादातर मुसलमान रोज़े रख रहे हैं. इस महीने में रोज़े लगातार 30 दिनों तक चलते हैं. जो इस बार 17 मई से शुरू होकर 15 जून तक चलने वाले हैं. रोज़े के बाद जो ईद होती है उसे ईद-उल-फितर कहते हैं. इसे मीठी ईद भी कहा जाता है. ईद के दिन नमाज से पहले गरीबों में फितरा बांटा जाता है. यही वजह है कि इस ईद को ईद-उल-फित्र या ईद-उल-फितर कहा जाता है. फितरा एक तरह का दान होता है जिसे रोज़ेगारों को रोज़ा पूरा होने पर दिया जाता है. वहीं, इस बार माह-ए-रमज़ान (Ramadan) में 5 जुमे पड़ रहे हैं. पहला जुमा रमज़ान शुरू होने के अगले दिन 18 मई को था, वहीं, 15 जून को आखिरी जुमा होगा, जिसे अलविदा जुमा कहा जाता है. आखिरी जुमे के अगले दिन ही ईद मनाई जाएगी. आज यहां आपको रमज़ान से जुड़े मिथक और सच के बारे में बताया जा रहा है. जिसे बहुत ही कम लोग जानते हैं.

Ramadan 2018: जानिए रमज़ान का महत्‍व, क्‍या होते हैं रोज़े और क्‍यों मनाई जाती है ईद?

मिथक - रमज़ान के महीने में आप ब्रश नहीं कर सकते.
सच - यह बात सरासर गलत है कि रमज़ान के महीने में दांतों को साफ या कुल्ला नहीं कर सकते हैं. क्योंकि रोज़ेगारों और नमाज अदा करने वालों के लिए इस्लाम में 'सिवाक' नाम का नियम बनाया गया है जिसमें दांतों को साफ करना ज़रूरी माना गया है. अगर ऐसा ना किया जाए तो नमाज पूरी नहीं मानी जाती है. इन 3 नियमों को पालन ना करने पर पूरी नहीं होती जुमे की नमाज

मिथक - हर किसी को रमज़ान में रोज़े रखना जरूरी. 
सच - इस्लाम में ऐसा कहीं नही लिखा हुआ है कि रमज़ान के महीने में हर मुसलमान को रोज़े रखने ही हैं. जी हां, इस दौरान बीमार लोग, प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्ग और लंबा सफर कर रहे लोगों के लिए रोज़ा रखना अनिवार्य नहीं है. वो अपनी सेहत के अनुसार रोज़े रख सकते हैं. Ramzan 2018: रमज़ान से जुड़ी 10 खास बातें, जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं​

मिथक - रमज़ान के दौरान रोज़ेदार अपना थूक अंदर नहीं ले सकते.
सच - गैर-मुस्लिम लोगों में सबसे बड़ा मिथक यही है कि रोज़े रख रहे लोग अपना थूक अंदर नहीं ले सकते. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि रोज़े के दौरान पानी तक नहीं पिया जाता और इसी वजह से थूक भी अंदर नहीं लिया जाता है, जो कि पूरी तरह से झूठ है. Ramzan 2018: रोज़ सेहरी और इफ्तार का सही समय, देखें यहां

मिथक - रोज़ेदारों के सामने खाना नहीं खाना चाहिए. 
सच - क्योंकि रोज़े के दौरान कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता, इसी वजह से लोग ऐसा मानते हैं कि रोजेदारों के सामने कुछ नहीं खाना चाहिए. लेकिन यह सिर्फ मिथक है, जबकि सच यह है कि इस्लाम धर्म के मुताबिक रमज़ान के महीने को नेकियों, आत्मनियंत्रण और खुद पर संयम रखने का महीना माना जाता है. मुसलमानों का रमज़ान के दौरान खुद पर इतना नियंत्रण होता है कि उनके सामने खाना खाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. इसी वजह से यह बात पूरी तरह से झूठ है कि रोज़ेदारों के सामने खाना नहीं खाना चाहिए. Ramadan 2018: इस दिन होगा सबसे लंबा रोज़ा

मिथक - रमज़ान में रोज़े के दौरान गलती से कुछ खाने पर रोज़े टूट जाते हैं.  
सच - हर धर्म में व्रत या रोज़े को भगवान को याद करने और खुद पर संयम के लिए रखा जाता है. अगर काम के दौरान या फिर भूल से कुछ खा लिया हो तो व्रत या रोज़े नहीं टूटते. हां, अगर जानकर रमज़ान में रोज़े के दौरान कुछ खा लिया जाए तब रोज़े जरूर टूट जाएंगे. Ramadan 2018: चांद से रोशन हो रमज़ान तुम्हारा इबादत से भरा हो रोजा तुम्हारा, भेज़ें रमज़ान के ऐसे ही मैसेज

मिथक - पीरियड्स के दौरान रोज़े टूट जाते हैं.
सच - ऐसा पूरी तरह से सच नहीं है. रमज़ान के महीने में ऐसा माना गया है कि महिला रोज़े के दौरान जिनते भी दिन के लिए पीरियड्स से होती है उस समय रोज़े माफ होते हैं. जितने भी दिनों के लिए रोज़े छूटते हैं उन्हें ईद के बाद पूरा किया जाता है. इस्लाम धर्म में हरे रंग को क्‍यों माना जाता है पाक, जानिए इसका महत्‍व

मिथक - रमज़ान के दौरान बालों में तेल या फिर शरीर पर इत्र नहीं लगाना चाहिए. 
सच - नमाज से पहले दांतों को साफ करने यानी कुल्ला करने को अनिवार्य माना गया है. ठीक इसी तरह इस दौरान खुद को साफ रखने की भी मनाही नहीं. इसीलिए रोज़ेदार इस दौरान बालों में तेल, शैम्पू और शरीर पर इत्र भी लगा सकते हैं. लाजवाब! रमज़ान में मंदिर के अंदर रोज़ेदारों को इफ्तार पार्टी देगा ये मंदिर​

देखें वीडियो - रमजान : खास लखनऊ का रंग
 

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