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This Article is From Aug 22, 2023

Putrada Ekadashi: कब है सावन की पुत्रदा एकादशी, जानिए संतान सुख के लिए किस तरह की जाती है पूजा

Putrada Ekadashi Date: पुत्रदा एकादशी को बेहद महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है. इस व्रत को खासतौर से विवाहित महिलाएं रखती हैं. 

Putrada Ekadashi: कब है सावन की पुत्रदा एकादशी, जानिए संतान सुख के लिए किस तरह की जाती है पूजा
Putrada Ekadashi Puja: इस दिन रखा जाएगा संतान प्राप्ति के लिए व्रत. 

Putrada Ekadashi 2023: सावन के महीने को बेहद पवित्र माना जाता है. इस माह बहुत से व्रत-त्योहार पड़ते हैं जिनकी विशेष धार्मिक मान्यता होती है. इन्हीं में से एक है पुत्रदा एकादशी. इस एकादशी को पवित्रा एकादशी (Pavitra Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. सालभर में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं जिनमें पूरी मान्यतानुसार भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का पूजन किया जाता है. जल्द ही पुत्रदा एकादशी पड़ रही है. पुत्रदा एकादशी के दिन संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है. जो दंपति संतान सुख से वंचित रह जाते हैं वे इस दिन पूजा करते हैं. खासकर विवाहित महिलाएं पुत्रदा एकादशी पर व्रत रखती हैं. 

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पुत्रदा एकादशी की पूजा | Putrada Ekadashi Puja 

इस साल पुत्रदा एकादशी 27 अगस्त के दिन मनाई जाएगी. एकादशी तिथि का प्रारंभ 27 अगस्त 12 बजकर 8 एएम पर होगा और इसकी समाप्ति 27 अगस्त की रात 9 बजकर 32 मिनट पर हो जाएगी. व्रत पारण का समय अगले दिन यानी 28 अगस्त बताया जा रहा है. 

पुत्रदा एकादशी व्रत के महत्व की बात करें तो इस दिन व्रत रखने पर संतान सुख मिल सकता है. माना जाता है कि निसंतान दंपति इस दिन भगवान विष्णु से संतान प्राप्ति की मनोकामना करते हैं. इसके अतिरिक्त मोक्ष प्राप्ति के लिए भी पुत्रदा एकादशी का व्रत (Putra Ekadashi Vrat) रखा जा सकता है. 

एकादशी के व्रत में मान्यतानुसार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा सामग्री में पुष्प, सुपारी, फल, लौंग, धूप, घी, अक्षत, पंचामृत, तुलसी दल, नारियल और चंदन आदि पूजा सामग्री में सम्मिलित किए जाते हैं. 

पूजा करने के लिए भक्त सुबह-सवेरे स्नान पश्चात व्रत का संकल्प लेते हैं. घर में दीप प्रज्जवलित किया जाता है और भगवान विष्णु का गंगाजल से अभिषेक होता है. इसके बाद भगवान विष्णु पर व्रत की सामग्री अर्पित की जाती है. पूरे मनोभाव से विष्णु आरती (Vishnu Aarti) के बाद भोग लगाकर पूजा संपन्न की जाती है. भगवान विष्णु को भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के रूप में सभी को बांटा जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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