Puri Jagannath Rath Yatra 2021: आज ओडिशा के पूरी शहर में रथयात्रा उत्सव मनाया जा रहा है. जो हर साल आषाढ़ माह के शुल्क पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की ओडिशा के पूरी में रथ यात्रा निकाली जाती है. बता दें, यह रथ यात्रा पुरी का प्रधान पर्व भी है. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के अलावा उनके बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा का रथ भी निकाला जाता है.
ओडिशा सरकार ने SJTA के साथ मिलकर विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए पूरी तैयारी कर ली है. इस बात की जानकारी CMO ओडिशा की आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर दी गई है.
Odisha Govt along with SJTA has done all preparation for the world renowned #RathaJatra. The festooned chariots are ready at #BadaDanda for the nine-day sojourn of the Holy Trinity. #ରଥଯାତ୍ରା୨୦୨୧ pic.twitter.com/A4Yy8393iv
— CMO Odisha (@CMO_Odisha) July 12, 2021
हालांकि इस साल रथयात्रा उत्सव का आयोजन श्रद्धालुओं की भीड़ के बिना ही आयोजित किया जा रहा है. कोरोना वायरस के कारण ओडिशा सरकार ने कुछ दिशा- निर्देश जारी किए हैं. जिसमें कहा गया है कि श्रद्धालुओं को उत्सव में शामिल होने की इजाजत नहीं दी गई है. यहां तक कि उन्हें रथ के मार्ग में छतों से भी रस्म देखने की अनुमति नहीं दी गई है.
#WATCH | Lord Jagannath Rath Yatra to be held, without the participation of devotees today in Odisha's Puri pic.twitter.com/VB1x0Lmqcj
— ANI (@ANI) July 12, 2021
आपको बता दें, इस साल रथयात्रा उत्सव के एक दिन पहले ओडिशा के पुरी शहर में कर्फ्यू लगाया दिया गया था जो आज दोपहर तक प्रभाव में रहेगा. ये उत्सव कोविड-19 महामारी के चलते लगातार दूसरे वर्ष बिना श्रद्धालुओं की भागीदारी के मनाया जा रहा है. उन्होंने शहर के लोगों से टेलीविजन पर इस उत्सव का सीधा प्रसारण देखने की अपील की.
क्यों मनाया जाता है रथ यात्रा उत्सव
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का पर्व हर वर्ष मनाया जाता है. इस पर्व को मनाने के पीछे कुछ मान्यताएं है. जिसमें से सर्वप्रचिलित मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने भगवान जगन्नाथ जी से द्वारका दर्शन करने की इच्छा जाहिर की जिसके फलस्वरूप भगवान ने सुभद्रा को रथ से भ्रमण करवाया तब से हर वर्ष इसी दिन जगन्नाथ यात्रा निकाली जाती है.
कैसे मनाया जाता है रथ यात्रा उत्सव
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए तीन रथ तैयार किए जाते हैं. जब तीनों रथ तैयार हो जाते हैं तब ‘छर पहनरा' अनुष्ठान किया जाता है. इन तीनों रथों की पूजा करके सोने की झाड़ू से रथ और रास्ते को साफ किया जाता है.
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को रथ यात्रा का आरंभ होता है. ढोल नगाड़ों के साथ ये यात्रा निकाली जाती है और भक्तगण रथ को खींचकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं.
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