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This Article is From Sep 14, 2022

Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष की मातृ नवमी होती है बेहद खास, जानें श्राद्ध की सही विधि और महत्व

Pitru Paksha 2022 Matri Navami: पितृ पक्ष की मातृ नवमी बेहद खास होती है. इस दिन दिवंगत माताओं, बहुओं और बेटियों का पिंडदान करने की परंपरा है. जानें मातृ नवमी श्राद्ध की विधि.

Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष की मातृ नवमी होती है बेहद खास, जानें श्राद्ध की सही विधि और महत्व
Pitru Paksha 2022 Matri Navami: मातृ नवमी 19 सितंबर को पड़ रही है.

Pitru Paksha 2022 Matri Navami Shradh: पितृ पक्ष पितरों को संतुष्ट करने का सबसे अच्छा अवसर होता है. इस दौरान पूरे 15 दिन तक पतरों  के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृ पक्ष में श्रद्धापूर्वक पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. पितृ पक्ष में मातृ नवमी का खास महत्व है. माना जाता है कि इस दिन विधि पूर्वक पूर्वजों का श्राद्ध करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन दिवंगत, माता, बहु और बेटियों का पिंडदान किया जाता है. इस साल मातृ नवमी 19 सितंबर, 2022 को है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, मातृ नवमी पर पितरों के निमित्त श्राद्ध करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है. आइए जानते हैं कि मातृ नवमी पर श्राद्ध की सही विधि और महत्व. 

कब है मातृ नवमी | Matri Navami 2022 Date

मातृ नवमी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी को कहते हैं. इस दिन दिव्यांग माताओं, बहुओं, बेटियों का पिंडदान किया जाता है, जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में हुई हो. इस साल आश्विन मास की नवमी तिथि 19 सितंबर को पड़ रही है. नवमी तिथि 18 सितंबर को शाम 4 बजकर 30 मिनट से 19 सितंबर को शाम 6 बजकर 30 मिनट तक है. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, मातृ नवमी का श्राद्ध 19 सितंबर को किया जाएगा.

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मातृ नवमी का महत्व | Matri Navami Importance

पौराणिक मन्यताओं के अनुसार, मातृ नवमी का श्राद्ध करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है. माना जाता है कि अगर घर की महिला इस दिन पूजा-पाठ और व्रत रखती हैं तो उन्हें सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस दिन दिवंगत माताओं का श्राद्ध करने से उनकी कृपा पूरे परिवार पर बनी रहती है. 

कैसे करें मातृ नवमी का श्राद्ध | Matri Navami Shradh Vidhi

मातृ नवमी के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठें. इसके बाद शौच-स्नान इत्यादि से निवृत हो जाएं. फिर साफ सफेद वस्त्र पहनकर घर की दक्षिण दिशा में किसी चौकी पर सफेद आसन बिछाएं. इसके बाद उस पर परिजन की तस्वीर लगाकर उन्हें फूलों को माला अर्पित करें. साथ ही उन्हें काले तिल का तिलक लगाएं और तिल के तेल का दीपक जलाएं. इसके बाद मृत पूर्वज को गंगाजल और तुलसी पत्र अर्पित करें. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गरुड़ पुराण या श्रीमद्भागवत कथा का पाठ करना अच्छा रहता है. ऐसे में अगर संभव हो तो ऐसा कर सकते हैं. मातृ नवमी के दिन श्राद्ध करने के बाद मृत परिजन के लिए भोजन का अंश निकाला जाता है. इसके साथ ही कौआ, चींटी, गाय, पक्षी और ब्रह्मण के लिए भोजन निकालें. ऐसा करने के बाद ही मातृ नवमी का श्राद्ध पूरा माना जाता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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