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Papankusha Ekadashi 2025: पाप से मुक्ति और सुख-सौभाग्य दिलाता है पापांकुशा एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व 

Papankusha Ekadashi 2025: आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहते हैं. दशहरे के ठीक दूसरे दिन रखे जाने वाले जिस व्रत को करने पर जीवन से जुड़े सारे पाप दूर हो जाते हैं और सुख-सौभाग्य का वरदान मिलता है, उसे आज कब और कैसे करें, जानने के लिए पढ़ें ये लेख.

Papankusha Ekadashi 2025: पाप से मुक्ति और सुख-सौभाग्य दिलाता है पापांकुशा एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व 
पापांकुशा एकादशी व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
File Photo

Papankusha Ekadashi 2025 Vrat Vidhi: सनातन परंपरा में भगवान श्री विष्णु के लिए रखे जाने वाले एकादशी व्रत की बड़ी महत्ता मानी गई है. हिंदू मान्यता के अनुसार इस व्रत का महत्व तब और भी ज्यादा बढ़ जाता है जब यह दशहरे के बाद आश्विन मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि पर पड़ता है और पापांकुशा एकादशी व्रत कहलाता है. मान्यता है कि श्रद्धा भाव और विधि-विधान इस दिन भगवान विष्णु का पूजन और व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन से जुड़े सारे पाप और दोष दूर हो जाते हैं और वह श्री हरि की कृपा से सभी सुखों को प्राप्त करता हुआ हमेशा खुशहाल बना रहता है. आइए सुख-सौभाग्य को बढ़ाने वाले पापांकुशा एकादशी व्रत की विधि और धार्मिक महत्व के बारे में जानते हैं. 

पापांकुशा एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार सभी पापों का नाश करने वाली पापांकुशा एकादशी का व्रत आज 03 अक्टूबर 2025 को रखना उचित रहेगा क्योंकि आश्विन मास के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि 02 अक्टूबर 2025 यानि कल दशहरे के दिन शाम को 07:10 से प्रारंभ होकर आज 03 अक्टूबर 2025 की शाम को 06:32 बजे तक रहेगी. ऐसे में पापांकुशा एकादशी व्रत का पारण कल 04 अक्टूबर 2025 को प्रात:काल 06:16 से लेकर 08:37 के बीच में करना अत्यंत ही शुभ और फलदायी रहेगा. 

पापांकुशा एकादशी व्रत की पूजा विधि | Papankusha Ekadashi Vrat Puja Vidhi

सभी पापों का नाश करने वाली पापांकुशा एकादशी व्रत को करने के लिए साधक को प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले इस व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद अपने पूजा घर में या फिर ईशान कोण में श्री हरि के चित्र या मूर्ति को पीले रंग के आसन पर रख कर उन पर पवित्र जल छिड़कें. इसके बाद उनके सामने सबसे पहले दीपक जलाएं और उसके बाद पुष्प, चंदन, धूप, भोग आदि अर्पित करें. 

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भगवान विष्णु को भोग के साथ उनकी ​प्रिय चीज तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं. इसके बाद पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा को पढ़े या फिर किसी के द्वारा कहे जाने पर श्रद्धापूर्वक सुनें. व्रत की कथा को सुनने के बाद श्री हरि के मंत्र का जप करें और पूजा के अंत में उनकी आरती करना बिल्कुल न भूलें. पूजा पूर्ण होने के बाद सभी को प्रसाद बांटे और स्वयं भी ग्रहण करें. ध्यान रहे यह व्रत बगैर पारण के नहीं पूर्ण होता है, इसलिए दूसरे दिन शुभ मुहूर्त में इस व्रत का विधि-विधान से पारण करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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