हमारे देश में हर राज्य में एक अलग संस्कृति देखने को मिलती है. लेकिन इसके बावजूद भी लोग सभी त्योहारों को मिलकर मनाते हैं. कुछ ऐसे भी त्योहार हैं जिन्हें किसी एक राज्य में ही प्रमुखता से मनाया जाता है. केरल में मनाया जाने वाला ओणम भी ऐसा ही एक त्योहार है. केरल में काफी बड़े स्तर पर इस त्योहार को मनाया जाता है. इस दौरान किसान व उनके परिवार फसल पकने की खुशी में अपने घरों के आंगन को खूबसूरत रंगोली से सजाते हैं.
इसलिए मानाते हैं ओणम
बताया जाता है कि राजा महाबली ने भगवान विष्णु से साल में एक दिन अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आने की अनुमति मांगी और भगवान ने इसकी अनुमति भी दे दी. इसके बाद हर साल एक दिन राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आते हैं. इस दिन राज्य के लोग उनका भव्य स्वागत करते हैं. इसके लिए वे अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं. कई तरह के पकवान भी बनाते है. केरल के अलावा इस त्यौहार को देश के कई हिस्सों में भी मनाया जाता है.
ऐसे मानाया जाता है त्यौहार
ओणम के नजदीक आते ही महिलाएं ढ़ेर सारी तैयारियां करना शुरू कर देती हैं. इस प्रसिद्ध त्यौहार के लिए कई तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं. लोग इसके लिए ओणम लंच का भी आयोजन करते हैं और अपने करीबी दोस्तों और जानकारों को खाने पर बुलाते हैं. इन स्वादिष्ट पकवानों में स्पेशल पूजा वाली खीर (आडाप्रधावन) के साथ खिचड़ी करेला, खिचड़ी बीटरुट, अवियल, पुलिस्सेरी, दाल, साम्भर, दही, घी, आमदूध और चावल का खीर, केला, केला चिप्स, पापड़ सहित लगभग 27 तरह के दक्षिण भारतीय पकवान शामिल होते हैं. इन सभी पकवानों को एक ही केले के पत्ते पर रखकर खाया जाता है. इस दौरान कई तरह की खेल-कूद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है. जिनमें लोकनृत्य, शेरनृत्य, कुचीपु़ड़ी, ओडीसी, कथक नृत्य और नौका प्रतियोगिताएं प्रमुख हैं.
खूबसूरत पोक्कलम करता है आकर्षित
मलयाली समुदाय की महिलाएं ओणम के दौरान फूल की पंखुड़ियों से खूबसूरत पोक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाती हैं. इसके लिए केरल की महिलाओं का उत्साह देखते ही बनता है. खूबसूरत फूलों की रंगोली लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती हैं. इसके बाद महिलाएं और बाकी के लोग यहां के लोक गीतों पर नृत्य भी करते हैं.
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इसलिए मानाते हैं ओणम
बताया जाता है कि राजा महाबली ने भगवान विष्णु से साल में एक दिन अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आने की अनुमति मांगी और भगवान ने इसकी अनुमति भी दे दी. इसके बाद हर साल एक दिन राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आते हैं. इस दिन राज्य के लोग उनका भव्य स्वागत करते हैं. इसके लिए वे अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं. कई तरह के पकवान भी बनाते है. केरल के अलावा इस त्यौहार को देश के कई हिस्सों में भी मनाया जाता है.
ऐसे मानाया जाता है त्यौहार
ओणम के नजदीक आते ही महिलाएं ढ़ेर सारी तैयारियां करना शुरू कर देती हैं. इस प्रसिद्ध त्यौहार के लिए कई तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं. लोग इसके लिए ओणम लंच का भी आयोजन करते हैं और अपने करीबी दोस्तों और जानकारों को खाने पर बुलाते हैं. इन स्वादिष्ट पकवानों में स्पेशल पूजा वाली खीर (आडाप्रधावन) के साथ खिचड़ी करेला, खिचड़ी बीटरुट, अवियल, पुलिस्सेरी, दाल, साम्भर, दही, घी, आमदूध और चावल का खीर, केला, केला चिप्स, पापड़ सहित लगभग 27 तरह के दक्षिण भारतीय पकवान शामिल होते हैं. इन सभी पकवानों को एक ही केले के पत्ते पर रखकर खाया जाता है. इस दौरान कई तरह की खेल-कूद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता है. जिनमें लोकनृत्य, शेरनृत्य, कुचीपु़ड़ी, ओडीसी, कथक नृत्य और नौका प्रतियोगिताएं प्रमुख हैं.
खूबसूरत पोक्कलम करता है आकर्षित
मलयाली समुदाय की महिलाएं ओणम के दौरान फूल की पंखुड़ियों से खूबसूरत पोक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाती हैं. इसके लिए केरल की महिलाओं का उत्साह देखते ही बनता है. खूबसूरत फूलों की रंगोली लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी रहती हैं. इसके बाद महिलाएं और बाकी के लोग यहां के लोक गीतों पर नृत्य भी करते हैं.
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