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मुंबई:
बंबई उच्च न्यायालय ने आज कहा कि वह यहां हाजी अली दरगाह मामले में महिलाओं के प्रवेश से संबंधित याचिका पर फैसले से पहले केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का इंतजार करेगा।
न्यायमूर्ति वीएम कनाडे और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की पीठ उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें हाजी अली ट्रस्ट के ऐतिहासिक दरगाह के समाधि स्थल पर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
न्यायाधीशों ने कहा कि दोनों मामले धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े हैं और इसलिए वे बंबई उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत पर फैसले से पहले देखना चाहेंगे कि उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर क्या दृष्टिकोण अपनाता है।
तीन फरवरी को होगी अगली सुनवाई
याचिका में यह अंतरिम राहत मांगी गई कि अदालत द्वारा इस मामले में अंतिम फैसला आने से पहले हाजी अली दरगाह के समाधि स्थल पर महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दी जाए।
अदालत ने महाधिवक्ता श्रीहरि अनेय से संवेदनशील मुद्दे से जुड़े इस मामले की तीन फरवरी को अगली सुनवाई पर दलीलें देने के लिए कहा।
उच्चतम न्यायालय में एक याचिका में सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं और लड़कियों को प्रवेश की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है क्योंकि वहां की परंपरा के अनुसार, मासिक धर्म शुरू होने के बाद लड़कियों को परिसर में जाने की अनुमति नहीं है। हालांकि मंदिर रजोवृत्ति दौर में पहुंचने वाली महिलाओं को ही जाने की अनुमति देता है।
शीर्ष अदालत ने 11 जनवरी को केरल के इस मंदिर में मासिक धर्म वाली महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की परंपरा पर सवाल उठाए थे। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह संविधान के तहत नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति वीएम कनाडे और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की पीठ उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें हाजी अली ट्रस्ट के ऐतिहासिक दरगाह के समाधि स्थल पर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाने के फैसले को चुनौती दी गई थी।
न्यायाधीशों ने कहा कि दोनों मामले धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश से जुड़े हैं और इसलिए वे बंबई उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई अंतरिम राहत पर फैसले से पहले देखना चाहेंगे कि उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर क्या दृष्टिकोण अपनाता है।
तीन फरवरी को होगी अगली सुनवाई
याचिका में यह अंतरिम राहत मांगी गई कि अदालत द्वारा इस मामले में अंतिम फैसला आने से पहले हाजी अली दरगाह के समाधि स्थल पर महिलाओं के प्रवेश को अनुमति दी जाए।
अदालत ने महाधिवक्ता श्रीहरि अनेय से संवेदनशील मुद्दे से जुड़े इस मामले की तीन फरवरी को अगली सुनवाई पर दलीलें देने के लिए कहा।
उच्चतम न्यायालय में एक याचिका में सबरीमाला मंदिर में सभी महिलाओं और लड़कियों को प्रवेश की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है क्योंकि वहां की परंपरा के अनुसार, मासिक धर्म शुरू होने के बाद लड़कियों को परिसर में जाने की अनुमति नहीं है। हालांकि मंदिर रजोवृत्ति दौर में पहुंचने वाली महिलाओं को ही जाने की अनुमति देता है।
शीर्ष अदालत ने 11 जनवरी को केरल के इस मंदिर में मासिक धर्म वाली महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की परंपरा पर सवाल उठाए थे। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह संविधान के तहत नहीं किया जा सकता।
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