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This Article is From Feb 26, 2020

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्‍यक्ष नृत्‍य गोपाल दास ने कहा, "राम मंदिर बनाने में नहीं लिया जाएगा सरकारी सहयोग"

नृत्य गोपाल दास ने कहा, "भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए सरकार से चंदा नहीं लिया जाएगा. अगर भक्तजन सहयोग देना चाहते हैं, तो वो दे सकते हैं."

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्‍यक्ष नृत्‍य गोपाल दास ने कहा, "राम मंदिर बनाने में नहीं लिया जाएगा सरकारी सहयोग"
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नव मनोनीत अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास
मथुरा:

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नव मनोनीत अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास (Nritya Gopal Das) ने कहा है कि अयोध्या में विश्व के सबसे भव्य एवं दिव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण जल्द शुरू हो जाएगा और वह भी किसी भी प्रकार के सरकारी सहयोग के बिना.  उन्होंने कहा कि जो भक्तजन चाहें, वे दान दे सकते हैं लेकिन सरकार से इस कार्य में कोई आर्थिक सहयोग पाने की कामना नहीं है.

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वह इन दिनों एक धार्मिक कार्यक्रम के सिलसिले में मथुरा आए हुए हैं और 27 फरवरी तक रहेंगे. गौरतलब है कि अयोध्या स्थित मणिराम छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास मूलतः मथुरा के बरसाना क्षेत्र के करहैला गांव के निवासी हैं. 

उन्होंने कहा, "भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए सरकार से चंदा नहीं लिया जाएगा. अगर भक्तजन सहयोग देना चाहते हैं, तो वो दे सकते हैं. श्रीराम मंदिर निर्माण की तैयारियां चल रही हैं. जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा."

उधर, उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा अयोध्या में दी गई पांच एकड़ जमीन को स्वीकार करते हुए उस पर मस्जिद के साथ-साथ 'इंडो-इस्लामिक' सेंटर, अस्पताल और लाइब्रेरी के निर्माण का फैसला किया है.

बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने बोर्ड की बैठक के बाद कहा, ''''बोर्ड की बैठक में राज्य सरकार द्वारा अयोध्या में दी जा रही पांच एकड़ जमीन को स्वीकार किए जाने का निर्णय लिया गया.''

उन्होंने बताया कि बोर्ड ने यह भी फैसला किया है कि वह उस जमीन पर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट भी गठित करेगा. उस जमीन पर मस्जिद के निर्माण के साथ-साथ एक ऐसा केन्द्र भी स्थापित करेगा जो पिछली कई सदियों की 'इंडो-इस्लामिक' सभ्यता को प्रदर्शित करेगा.

फारूकी ने बताया कि इसके साथ ही भारतीय तथा इस्लामिक सभ्यता के अन्वेषण तथा अध्ययन के लिए एक केन्द्र तथा एक चैरिटेबल अस्पताल एवं पब्लिक लाइब्रेरी तथा समाज के हर वर्ग की उपयोगिता की अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भी की जाएगी. इंडो-इस्लामिक केन्द्र में रिसर्च और स्टडी दोनों ही सेंटर होंगे.

फारूकी ने बताया कि बहुत से लोगों ने मस्जिद के साथ-साथ रिसर्च सेंटर, अस्पताल और लाइब्रेरी बनवाने का भी सुझाव दिया था. उन पर विचार के बाद यह निर्णय लिया गया है.

इस सवाल पर कि बनने वाली मस्जिद का नाम ''बाबरी मस्जिद'' होगा या नहीं, उन्होंने कहा कि इस बारे में ट्रस्ट फैसला करेगा. इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है. मस्जिद कितनी बड़ी होगी, यह स्थानीय जरूरतों को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा.

फारूकी ने कहा कि ट्रस्ट तथा उसके पदाधिकारियों से संबंधित सम्पूर्ण विवरण की घोषणा उसके गठन के बाद की जाएगी. ट्रस्ट बहुत जल्द गठित होगा.

बैठक में बोर्ड के आठ में से छह सदस्य मौजूद थे. इमरान माबूद खां और अब्दुल रज्जाक खां बैठक में शामिल नहीं हुए.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने नौ नवम्बर 2019 को अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए संबंधित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और सरकार को मामले के मुख्य मुस्लिम पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था.

प्रदेश के योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल ने पांच फरवरी को अयोध्या जिले के सोहावल क्षेत्र में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन आबंटित करने के फैसले पर मुहर लगा दी थी.

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