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This Article is From Jun 12, 2019

Nirjala Ekadashi 2019: 13 जून को है निर्जला एकादशी, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि के साथ जानिए इसका महत्व

Nirjala Ekadashi 2019: हर साल ज्‍येष्‍ठ महीने की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी या भीम एकादशी का व्रत किया जाता है. इस एकादशी का व्रत बिना पानी के रखा जाता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं.

Nirjala Ekadashi 2019: 13 जून को है निर्जला एकादशी, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि के साथ जानिए इसका महत्व
निर्जला एकादशी 2019 (Nirjala Ekadashi 2019)
नई दिल्ली:

Nirjala Ekadashi 2019: गंगा दशहरा के बाद 13 जून को निर्जला एकादशी मनाई जा रही है. ये सालभर में आने वाली 24 एकादशियों में से सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है. इसे भीम एकादशी (Bheem Ekadashi) भी कहते हैं. इस एकादशी में बिना जल के व्रत रखा जाता है, इस वजह से इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. 

निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारंभ: 12 जून शाम 06:27
एकादशी तिथि समाप्‍त: 13 जून 04:49

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) कब आती है?
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर साल ज्‍येष्‍ठ महीने की शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी या भीम एकादशी का व्रत किया जाता है. इस एकादशी का व्रत बिना पानी के रखा जाता है इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहते हैं.

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निर्जला एकदशी का महत्‍व
हिंदू पंचांग के मुताबिक, साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं, लेकिन निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व है. इसे पवित्र एकादशी माना जाता है. मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सालभर की 24 एकादशियों के व्रत का फल मिल जाता है, इस वजह से इस एकादशी का व्रत बहुत महत्व रखता है. 

निर्जला एकादशी की पूजा विधि
निर्जला एकादशी के दौरान भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. सुबह व्रत की शुरुआत पवित्र नदियों में स्नान करके किया जाता है. अगर नदी में स्नान ना कर पाएं तो घर पर ही नहाने के बाद 'ऊँ नमो वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें. भगवान विष्णु की पूजा करते समय उन्हें लाल फूलों की माला चढ़ाएं, धूप, दीप, नैवेध, फल अर्पित करके उनकी आरती करें. 24 घंटे बिन्ना जल और अन्न का व्रत रखें और अगले दिन विष्णु जी की पूजा कर व्रत खोलें. इस व्रत के दौरान ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है.

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निर्जला एकादशी व्रत कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों के दूसरे भाई भीमसेन खाने-पीने के बड़े शौकीन थे. वह अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं रख पाते थे. उन्‍हें छोड़कर सभी पांडव और द्रौपदी एकादशी का व्रत किया करते थे. इस बात से भीम बहुत दुखी थे कि वे ही भूख की वजह से व्रत नहीं रख पाते हैं. उन्‍हें लगता था कि ऐसा करके वह भगवान विष्‍णु का निरादर कर रहे हैं.

अपनी इस समस्‍या को लेकर भीम महर्षि व्‍यास के पास गए. तब महर्षि ने भीम से कहा कि वे साल में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत रखें. उनका कहना था कि एकमात्र निर्जला एकादशी का व्रत साल की 24 एकादश‍ियों के बराबर है. तभी से इस एकादशी को भीम एकादशी के नाम से जाना जाने लगा.

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