कलश स्थापना क्यों और कैसे की जाती है, जानिए सामग्री और शुभ मुहूर्त भी
नई दिल्ली:
Navaratri 2018: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) 10 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं. सभी घरों में मां दुर्गा के इस पर्व की तैयारियां ज़ोरों पर हैं. नवरात्रि पूजन सामग्री की खरीदारी जारी है. लेकिन नवरात्रि (Navratri 2018) में पूजा सामग्रियों को खरीदने से ज्यादा महत्वपूर्ण है इन्हें सही मुहूर्त और जगह पर स्थापित करना. हिंदू धर्म से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार सभी भगवानों की पूजा और पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों का एक सही समय और प्रक्रिया होती है. ठीक इसी तरह मां दुर्गा के इस पर्व पर भी कलश स्थापित किया जाता है. कई लोग तो नवरात्रि (Navratri 2018) के पहले दिन पंडितों को घर में बुलाकर कलश की स्थापना करवाते हैं, लेकिन आप यहां दिए गए समय और विधि के अनुसार खुद ही अपने घरों में कलश की स्थापना कर सकते हैं.
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कलश स्थापना के लिए सामग्री
लाल रंग का आसन, मिट्टी का पात्र, जौ, कलश के नीचे रखने के लिए मिट्टी, कलश, मौली, लौंग, इलायची, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, चावल, अशोका या आम के 5 पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, माता का श्रृंगार और फूलों की माला.
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ऐसे करें कलश स्थापना
1. नवरात्रि के पहले दिन खुद नहाकर मंदिर की सफाई करें और हर शुभ काम की तरह सबसे पहले गणेश जी का नाम लें.
2. मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योत जलाएं और मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीच डालें.
3. एक तांबे के लोटे (कलश) पर मौली बांधें और उस पर स्वास्तिक बनाएं.
4. लोटे (कलश) पर कुछ बूंद गंगाजल डालकर उसमें दूब, साबुत सुपारी, अक्षत और सवा रुपया डालें.
5. अब लोटे (कलश) के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं और नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर रखें.
6. अब इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के बीचोबीच रख दें.
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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
10 अक्टूबर की सुबह 6.25 मिनट से 7.26 तक कलश की स्थापना करें. अगर इस समय में कलश की स्थापना नहीं कर पाएं हो तो दोपहर 11.51 से 12.29 तक के बीच में कलश रखें.
जानिए क्यों की जाती है कलश स्थापना
कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है. मान्यता है कि कलश स्थापना मां दुर्गा का आह्वान है और शक्ति की इस देवी का नवरात्रि से पहले वंदना शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि इससे देवी मां घरों में विराजमान रहकर अपनी कृपा बरसाती हैं.
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2. मां दुर्गा के नाम की अखंड ज्योत जलाएं और मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीच डालें.
3. एक तांबे के लोटे (कलश) पर मौली बांधें और उस पर स्वास्तिक बनाएं.
4. लोटे (कलश) पर कुछ बूंद गंगाजल डालकर उसमें दूब, साबुत सुपारी, अक्षत और सवा रुपया डालें.
5. अब लोटे (कलश) के ऊपर आम या अशोक 5 पत्ते लगाएं और नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर रखें.
6. अब इस कलश को जौ वाले मिट्टी के पात्र के बीचोबीच रख दें.
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कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
10 अक्टूबर की सुबह 6.25 मिनट से 7.26 तक कलश की स्थापना करें. अगर इस समय में कलश की स्थापना नहीं कर पाएं हो तो दोपहर 11.51 से 12.29 तक के बीच में कलश रखें.
जानिए क्यों की जाती है कलश स्थापना
कलश स्थापना को घट स्थापना भी कहा जाता है. मान्यता है कि कलश स्थापना मां दुर्गा का आह्वान है और शक्ति की इस देवी का नवरात्रि से पहले वंदना शुभ मानी जाती है. मान्यता है कि इससे देवी मां घरों में विराजमान रहकर अपनी कृपा बरसाती हैं.
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