मोदी की लिंगराज मंदिर की तस्वीर सबसे लोकप्रिय तस्वीर बनी
नई दिल्ली:
पिछले साल यहां के लिंगराज मंदिर में ली गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर किसी नेता द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गयी साल की ‘‘ सबसे लोकप्रिय तस्वीर ’’ बन गई है.
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर तस्वीर डालते हुए लिखा था, ‘‘ भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में प्रार्थना की. मंदिर और मंदिर परिसर की भव्यता का मन पर गहरा असर पड़ता है.’’
वह पिछले साल अप्रैल में यहां भाजपा की दो दिन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के दौरान मंदिर गए थे.
लिंगराज महादेव: इस मंदिर में एक साथ बसते हैं हरि और हर, आनेवाले भक्त की हर इच्छा होती है पूरी
क्या है मंदिर से जुड़ी मान्यता
लगभग हजार साल पुराने इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि लिट्टी और वसा नाम दो भयंकर राक्षसों का वध देवी पार्वती ने यहीं पर किया था. लड़ाई के बाद जब उन्हें प्यास लगी तो भगवान शिव ने कुआं बना कर सभी नदियों का आह्वान किया. यहीं पर बिन्दूसागर सरोवर है तथा उसके निकट ही लिंगराज का विशालकाय मन्दिर है
सोमवंशी राजा ने कराया था मंदिर का निर्माण
माना जाता है कि 11वीं सदी में सोमवंशी राजा ययाति केसरी ने मंदिर का निर्माण करवाया था. 180 फुट के शिखर वाले मंदिर का प्रांगण 150 मीटर वर्गाकार का है और कलश की ऊंचाई 40 मीटर है. मंदिर के प्रांगण में 64 छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनकी संख्या पहले 108 थी.
तुंगनाथ के खुले कपाट, भक्त कर सकेंगे भगवान तुंगनाथ के दर्शन
यहां आनेवाले हर भक्त की इच्छा होती है पूरी
इस मंदिर में एक साथ बसते श्रीहरि यानि भगवान विष्णु और हर यानि भगवान शिव एक साथ बसते हैं और उनकी पूजा साथ-साथ की जाती है. ऐसी मान्यता हैं कि यहां आनेवाले हर भक्त की इच्धा पूरी होती है.
देखें वीडियो - भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर पहुंचे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर तस्वीर डालते हुए लिखा था, ‘‘ भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर में प्रार्थना की. मंदिर और मंदिर परिसर की भव्यता का मन पर गहरा असर पड़ता है.’’
वह पिछले साल अप्रैल में यहां भाजपा की दो दिन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के दौरान मंदिर गए थे.
लिंगराज महादेव: इस मंदिर में एक साथ बसते हैं हरि और हर, आनेवाले भक्त की हर इच्छा होती है पूरी
क्या है मंदिर से जुड़ी मान्यता
लगभग हजार साल पुराने इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि लिट्टी और वसा नाम दो भयंकर राक्षसों का वध देवी पार्वती ने यहीं पर किया था. लड़ाई के बाद जब उन्हें प्यास लगी तो भगवान शिव ने कुआं बना कर सभी नदियों का आह्वान किया. यहीं पर बिन्दूसागर सरोवर है तथा उसके निकट ही लिंगराज का विशालकाय मन्दिर है
सोमवंशी राजा ने कराया था मंदिर का निर्माण
माना जाता है कि 11वीं सदी में सोमवंशी राजा ययाति केसरी ने मंदिर का निर्माण करवाया था. 180 फुट के शिखर वाले मंदिर का प्रांगण 150 मीटर वर्गाकार का है और कलश की ऊंचाई 40 मीटर है. मंदिर के प्रांगण में 64 छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनकी संख्या पहले 108 थी.
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यहां आनेवाले हर भक्त की इच्छा होती है पूरी
इस मंदिर में एक साथ बसते श्रीहरि यानि भगवान विष्णु और हर यानि भगवान शिव एक साथ बसते हैं और उनकी पूजा साथ-साथ की जाती है. ऐसी मान्यता हैं कि यहां आनेवाले हर भक्त की इच्धा पूरी होती है.
देखें वीडियो - भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर पहुंचे पीएम मोदी
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