भारत विभाजन के बाद से पहली बार 500 से अधिक सिख तीर्थयात्री पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब में मत्था टेककर गुरुवार को स्वदेश लौटे. कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि सिख तीर्थयात्रियों का एक जत्था सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की 550वीं जयंती समारोह के उपलक्ष्य में ऐतिहासिक ननकाना साहिब में श्रद्धा सुमन अर्पित करने के बाद गुरुवार की दोपहर सड़क मार्ग से भारत पहुंचा.
ननकाना साहिब में मत्था टेकने के लिए दो दिन पहले ही इन तीर्थयात्रियों ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में प्रवेश किया था.
अकाली दल के विधायक मनजिंदर एस. सिरसा ने ट्वीट किया, "मैं ननकाना साहिब से आ रहे नगर कीर्तन का स्वागत करने के लिए संगत को दोपहर 1:30 बजे अटारी बॉर्डर पर आमंत्रित करता हूं."
दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष सिरसा ने भारत के तीर्थयात्रियों का नेतृत्व किया.
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नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग ने एक बयान में कहा, "पाकिस्तान गर्व महसूस करता है कि गुरु नानक की 550वीं जयंती का जश्न ननकाना साहिब से शुरू हो रहा है."
उच्चायोग की ओर से कहा गया कि पाकिस्तान सरकार इस समारोह को यादगार और ऐतिहासिक बनाने के लिए कई पहल कर रही है.
नवंबर में क्रॉस-बॉर्डर करतारपुर गलियारा (कॉरिडोर) का उद्घाटन किया जाएगा. इस दौरान भारत के हजारों तीर्थयात्रियों के सीमा पार स्थित करतारपुर गुरुद्वारा जाने की उम्मीद है. इस स्थान पर गुरु नानक ने अपने अंतिम दिन बिताए थे. गलियारे का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के क्षेत्र में पड़ता है.
गुरु नानक की 550वीं जयंती समारोह से पहले भारत और पाकिस्तान में 4.2 किलोमीटर लंबे गलियारे का निर्माण सितंबर के अंत तक खत्म हो जाएगा.
इनपुट-आईएएनएस
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