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This Article is From Nov 26, 2016

आदिपूज्य भगवान गणेश से जुड़ी रोचक बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं...

आदिपूज्य भगवान गणेश से जुड़ी रोचक बातें जो बहुत कम लोग जानते हैं...
आदिपूज्य भगवान गणेश को लंबोदर, व्रकतुंड, विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति आदि कई नामों से पुकारा जाता है. जितने इनके नाम हैं, उतनी ही कथाएं भी इनसे जुड़ी हैं. आइये, जानते हैं भगवान गणेश से जुड़ी रोचक बातें, जिसमें कुछ तो आप जानते हैं, और कुछ बहुत कम लोग ही जानते हैं.
  1. शिव पुराण के अनुसार देवी  पार्वती को द्वारपाल के रूप में गणेश का निर्माण करने का विचार उनकी सखियां जया और विजया ने दिया था. तब देवी पार्वती ने गणेशजी की रचना अपने शरीर के मैल से की थी.
  2. शिव पुराण के अनुसार भगवान गणेश के शरीर का रंग लाल और हरा है. उन्हें को गणेश को जो दूर्वा (दूब घास और उसकी पत्तियां) चढ़ाई जाती है, वह जड़ रहित, बारह अंगुल लंबी और तीन गांठों वाली होनी चाहिए.
  3. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जब सभी देवगण भगवान गणेश को आशीर्वाद दे रहे थे तब शनिदेव सिर नीचे किए हुए खड़े थे. देवी पार्वती के पूछने पर शनिदेव ने कहा कि मेरे द्वारा देखने पर आपके पुत्र का अहित हो सकता है. लेकिन जब माता पार्वती के जिद पर शनिदेव ने बालक को देखा तो उसका सिर धड़ से अलग हो गया.
  4. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक बार भगवान शिव ने क्रोध में आकर सूर्य पर त्रिशूल से प्रहार किया, जिससे वे मूर्छित हो गए. सूर्यदेव के पिता महर्षि कश्यप ने जब यह देखा तो क्रोध में आकर उन्होंने शिवजी को शाप दिया कि जिस प्रकार आज आपके त्रिशूल से मेरे पुत्र का शरीर नष्ट हुआ है. उसी प्रकार आपके पुत्र का मस्तक भी कट जाएगा. कहते हैं, इसी शाप के कारण भगवान गणेश के मस्तक कटने की घटना हुई.
  5. शिव पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव त्रिपुर पर शासन करने वाले अत्याचारी राक्षसों का वध करने जा रहे थे, तब आकाशवाणी हुई कि जब तक आप गणेश-पूजन नहीं करेंगे. तब तक त्रिपुर का नाश नहीं कर सकेंगे. तब भगवान शिव ने भद्रकाली को बुलाकर विघ्नहर्ता गजानन का विधिवत पूजन किया और युद्ध में विजय प्राप्त की.
  6. गणेश पुराण के अनुसार छन्द शास्त्र में 8 गण होते हैं: यगण, जगण, मगण, नगण, भगण, रगण, सगण, तगण. को गण भी कहा जाता है. इनके अधिष्ठाता देवता होने के कारण भी इन्हें गणेश की संज्ञा दी गई है. अक्षरों के यानी अधिपति यानी ईश होने के कारण इन्हें गणेश कहा जाता है, इसलिए वे विद्या-बुद्धि के दाता भी कहे गए हैं.

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