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This Article is From Sep 16, 2017

आखि‍र क्यों तुलसी ने दिया था भगवान गणेश को श्राप...

गणेश हिंदुओं के आदिदेव हैं. किसी भी कार्य से पहले या पूजन में सबसे पहले उन्हें ही पूजा जाता है. गणेश एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनके चित्र सबसे अधिक अलग-अलग आकृतियों में देखने को मिलते हैं. क्या आप जानते हैं गणेश से जुड़े इन रोचक तथ्यों के बारे में... 

आखि‍र क्यों तुलसी ने दिया था भगवान गणेश को श्राप...
पुराणों के अनुसार हिंदू देवता गणेश विवाह नहीं करना चाहते थे.
गणेश हिंदुओं के आदिदेव हैं. किसी भी कार्य से पहले या पूजन में सबसे पहले उन्हें ही पूजा जाता है. गणेश एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनके चित्र सबसे अधिक अलग-अलग आकृतियों में देखने को मिलते हैं. क्या आप जानते हैं गणेश से जुड़े इन रोचक तथ्यों के बारे में... 

विवाह नहीं करना चाहते थे गणेश: 
जी हां, पुराणों के अनुसार हिंदू देवता गणेश विवाह नहीं करना चाहते थे, लेकिन उन्होंने दो विवाह किए. इसके पीछे एक कथा है. कथा एक श्राप की. पुराण के अनुसार एक बार गणेश जी गंगा के तट पर तप कर रहे थे. तभी तुलसीदेवी वहां से गुजरीं. गणेश को देखकर तुलसी उनकी ओर आकर्षित हो गईं और उनसे विवाह की इच्छा जाहिर की. लेकिन गणेश ने विवाह से इंकार कर दिया. इस तरह अपने प्रस्ताव को ठुकरा दिए जाने पर तुलसी ने गुस्से में गणेश को दो विवाह करने का श्राप दिया था.
एक ही बार में लिखी महाभारत 
महाभारत भले ही महर्षि वेदव्यास के मुख से निकली कथा हो, लेकिन उसे लिखने वाले हाथ गणेश के थे. महाभारत का लेखन भगवान गणेश ने किया था. लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि महाभारत लिखते समय न तो महर्षि वेदव्यास का मुख और न ही श्री गणेश का हाथ एक बार भी रुका. महर्षि वेदव्यास ने एक ही बार में पूरी कथा भगवान गणेश को सुनाई और उन्होंने भी इसे बिना रुके लिखा. 

नाम है गणेशा: 
क्या आपने कभी सोचा है कि हिंदू देवता गणेश का नाम गणेश ही क्यों है. दरअसल हिंदू पुराण के अनुसार छन्दशास्त्र में कुल आठ गण होते हैं और गणेश इन्हीं आठों गणों के देवता हैं. इन आठ गणों के नाम हैं- नगण, भगण, मगण, जगण, यगण, रगण, सगण, तगण. गणेश अधिष्ठाता देवता हैं और यह भी एक कारण है कि उन्हें गणेश नाम दिया गया. 

कैसे कहलाए एकदंत 
हिंदू धर्म में प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार जब भगवान परशुराम गणेश के पिता शिव से मिलने के लिए कैलाश पर्वत पर आए, तो गणेश ने उन्हें शिव से मिलने से रोका. इसकी वजह यह थी कि शिव अपने ध्यान में मग्न थे और वे नहीं चाहते थे कि उस समय शिव को कोई भी ध्या‍न में विघ्न पहुंचाए. लेकिन इस बात पर परशुराम को गुस्सा आ गया और उन्होंने गणेश पर कुल्हाड़ी से वार किया. इस वार में भगवान गणेश का एक दांत टूट गया और वे तभी से एकदंत कहलाए.
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