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This Article is From May 05, 2022

Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा इस दिन, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Mohini Ekadashi 2022: वैशाख मास (Vaishakh Month) की एकादशी को मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से कई जन्म के पापों से छुटकारा मिल जाता है.

Mohini Ekadashi 2022: मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा इस दिन, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
Mohini Ekadashi 2022: आइए जानते हैं कि वैशाख महीने की एकादशी कब है और इस दिन व्रत-पूजन किस तरह किया जाता है.

Mohini Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में एकादशी (Ekadashi) का विशेष महत्व है. वैशाख मास (Vaishakh Month) की एकादशी को मोहिनी एकादशी (Mohini Ekadashi) कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से कई जन्म के पापों से छुटकारा मिल जाता है. साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि आती है. आइए जानते हैं कि वैशाख महीने की एकादशी कब है और इस दिन व्रत-पूजन किस तरह किया जाता है. 

मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Mohini Ekadashi Shubh Muhurat)

पंचांग के मुताबिक वैशाख मास की मोहिनी एकादशी 12 मई, 2022 को है. हालांकि एकादशी तिथि की शुरुआत 11 मई, 2022 की शाम 7 बजकर 31 से होगी. वहीं एकादशी तिथि की समाप्ति 12 मई को शाम 6 बजकर 51 मिनट पर होगी.  

मोहिनी एकादशी पारण मुहूर्त (Mohini Ekadashi Parana Muhurat)

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में की जाती है. ऐसे में जो लोग 12 मई को मोहिनी एकादशी का व्रत रखेंगे, उन्हें 13 मई को एकादशी का पारण करना अच्छा रहेगा. धार्मिक मान्यता है कि द्वादशी तिथि में एकादशी व्रत का पारण करना अच्छा रहता है. वहीं त्रयोदशी तिथि में व्रत का पारण करना अशुभ माना गया है. 

मोहिनी एकादशी व्रत-पूजन विधि (Mohini Ekadashi Vrat Puja Vidhi)

मोहिनी एकादशी व्रत के लिए सुबह उठकर स्नान किया जाता है. स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण किया जाता है. इसके बाद पूजा स्थान को साफ करके भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप या मां लक्ष्मी भगवान विष्णु की स्थापना की जाती है. इसके बाद भगवान विष्णु के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लिया जाता है. फिर घी का दीपक जलाया जाता है. इसके बाद भगवान को धूप, दीप नैवेद्य, फूल, अक्षत आदि अर्पित किया जाता है. इसके बाद एकादशी व्रत की कथा की जाती है. अंत में श्रीहरि को भोग लगाकर आरती की जाती है. भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल जरूर किया जाता है. अलगे दिन एकादशी व्रत का पारण किया जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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