
Margashirsha Purnima 2020: वर्ष 2020 की अंतिम पूर्णिमा को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है. कुछ लोगों के अनुसार, आज पूर्णिमा तिथि है तो कुछ कह रहे हैं कि कल. यहां सवाल यह उठ रहा है कि आखिर साल की अंतिम पूर्णिमा यानी मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima 2020) कब है, कब स्नान-दान किया जाएगा और कब रखा जाएगा व्रत. पूर्णिमा पर लोग जहां व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ, स्नान-दान करते हैं वहीं कई लोग विशेष पूजा भी करते हैं और ऐसे लोग जानन चाहते हैं कि आखिर पूर्णिमा है कब जिससे कि उन्हें आसानी हो साथ ही मुहूर्त भी. तो आइये हम आपकी यह असमंजस की स्थिति दूर किये देते हैं.
कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा ?
मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ आज 29 दिसंबर मंगलवार सुबह 7.50 बजे के बाद से हो गया है. ऐसे में जिन लोगों को पूर्णिमा व्रत रहना है, वे लोग आज पूर्णिमा व्रत रखेंगे. पूर्णिमा व्रत के दिन सत्यनारायण भगवान की कथा सुनने का भी बड़ा महत्व है. वहीं जिन लोगों को मार्गशीर्ष पूर्णिमा का स्नान, दान आदि करना है, वे लोग 30 दिसंबर दिन बुधवार को नदी में स्नान करेंगे. इस दिन दान करने का 32 गुना अधिक पुण्य प्राप्त होता है. दरअसल, उदया तिथि 30 दिसंबर को प्राप्त हो रही है इसलिए पूर्णिमा तिथि उस दिन की मान्य होगी. ऐसे में साल 2020 की अंतिम पूर्णिमा 30 दिसंबर को ही मानी जाएगी.
श्री कृष्ण का प्रिय महीना है मार्गशीर्ष
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 30 दिसंबर को मानी जा रही है वहीं मार्गशीर्ष मास को भगवान श्रीकृष्ण का सबसे प्रिय मास माना गया है, इसलिए इस दिन भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) की पूजा का विशेष महत्व है. इस दिन पूजा और व्रत रखने से जीवन में आने वाली कई परेशानियों से मुक्ति मिलती है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का महत्व
माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा या अगहन पूर्णिमा के दिन नदी, सरोवर आदि में स्नान कर दान पुण्य किया जाता है. इस दिन भगवान सत्यनारायण (Lord Satyanarayan) की पूजा तथा कथा श्रवण के बाद अपने सामर्थ्यनुसार गरीबों को भोजन और दक्षिणा देने का विधान है. ऐसा करने से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) प्रसन्न होते हैं. भक्तों पर उनकी कृपा बनी रहती है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुभ मुर्हूत
पंचांग के अनुसार, 29 दिसंबर की शाम 7 बजकर 54 मिनट से 30 दिसंबर की रात 8 बजकर 57 पर तक इसका शुभ मुहूर्त बना हुआ है. इस मुहूर्त में शुभ कार्य भी किए जा सकते है.
पूर्णिमा की पूजा से चंद्रमा को बनाएं बलवान
ज्योतिष के अनुसार, जिन लोगों की जन्म कुंडली में चंद्रमा कमजोर होते हैं, उन्हें इस दिन पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है. चंद्रमा को ज्योतिष शास्त्र में मन का कारक माना गया है. जिन लोगों के मन में गलत विचार आते हैं, वे इस दिन चंद्रमा की पूजा करें और जल अर्पित करें. ऐसा करने से चंद्रमा के दोष दूर होते हैं.
ऐसे करें मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत
इस दिन व्रत रखने का भी विधान है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर पवित्र नदी में स्नान करने को अति उत्तम माना गया है. यदि ये संभव न हो तो इस दिन स्नान करने से पूर्व जल में गंगाजल की कुछ बूंदें डाल कर भी स्नान कर सकते हैं. स्नान करने के बाद पूजा स्थान पर बैठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
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