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This Article is From Dec 18, 2023

Margashirsha Purnima 2023: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर कुछ चीजों को घर लाना माना जाता है बेहद शुभ, आती है खुशहाली

Margashirsha Purnima Date: पूर्णिमा के दिन कई तरह के कार्य बेहद शुभ माने जाते हैं. यहां ऐसी ही कुछ चीजों का जिक्र किया जा रहा है जिन्हें पूर्णिमा के दिन घर लाया जा सकता है. 

Margashirsha Purnima 2023: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर कुछ चीजों को घर लाना माना जाता है बेहद शुभ, आती है खुशहाली
Margashirsha Purnima Kab Hai: मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहते हैं. 

Margashirsha Purnima 2023: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व होता है. माना जाता है कि इस दिन सकारात्मक और दैवीय शक्तियां पृथ्वी लोक पर आती हैं. मान्यतानुसार, पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है और कहा जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने पर जीवन में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को आरोग्य का वरदान मिलता है. पूर्णिमा (Purnima) के दिन पितरों की पूजा भी की जाती है और बहुत से जातक इस दिन पितरों का तर्पण करते हैं. इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना भी शुभ होता है और सूर्योदय के बाद पेड़ की परिक्रमा की जाती है. मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहा जाता है. इस दिन ऐसी कुछ चीजें हैं जिन्हें घर में लाना बेहद शुभ कहा जाता है. 

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पूर्णिमा के दिन किन चीजों को लाएं घर  

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 26 दिसंबर, मंगलवार सुबह 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और इस दिन का समापन अगले दिन 27 दिसंबर, बुधवार सुबह 6 बजकर 2 मिनट पर हो जाएगा. उदयातिथि और चंद्रोदय को ध्यान में रखते हुए मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा 26 दिसंबर के दिन ही मनाई जाएगी. इसी दिन पूजा-अर्चना की जाएगी और दान, स्नान व व्रत (Purnima Vrat) आदि कार्य पूर्ण होंगे. 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर जिन चीजों को घर लाया जा सकता है उनमें चांदी का सिक्का और कौड़ी शामिल हैं. इसके अलावा, घर में इस दिन कुबेर यंत्र लाया जा सकता है और घर में एकाक्षी नारियल रखना भी बेहद शुभ होता है. 

ऐसे करें पूर्णिमा की पूजा 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठने की सलाह दी जाती है. इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है अथवा डुबकी लगाई जाती है. माना जाता है कि पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा-आराधना की जा सकती है. इस दिन भक्त उपवास भी रखते हैं और अन्य सात्विक भोजन का सेवन करते हैं. पूर्णिमा की पूजा सूर्योदय के बाद और चंद्रमा के दर्शन करने के पश्चात ही समाप्त होती है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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