मकर संक्रांति (Makar Sankranti) हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है. यह एक ऐसा त्योहार है जो किसी राज्य विशेष में नहीं बल्कि देश के कोने-कोने में मनाया जाता है. भारत के विभिन्न राज्यों में मकर संक्रांति का पर्व अलग-अलग नामों से जाना जाता है और इसे मनाने का तरीका भी एक-दूसरे से अलग है. बंगाल में इस पर्व के दिन मिठाइयां बनाई जाती हैं तो पंजाब में नाच-गाने के साथ 'लोहड़ी' (Lohri) मनाई जाती है. उत्तर प्रदेश में इसे 'खिचड़ी' (Khichdi) कहते हैं तो गुजरात में इस दिन पतंग उड़ाने का विशेष महत्व है. सूर्य उपासना के साथ ही देश के तमाम राज्य अपने-अपने अंदाज में हर्षोल्लास के साथ इस त्योहार का स्वागत करते हैं. मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होता है. पंरपराओं के मुताबिक इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और इसी के साथ सभी शुभ काम शुरू हो जाते हैं. इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी के बजाए 15 जनवरी को है.
जानिए मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और मंत्र
उत्तर प्रदेश
उत्तर पदेश में मकर संक्रांति को 'खिचड़ी' (Khichdi) भी कहा जाता है. इस दिन तीर्थ स्थानों विशेषकर बनारस और इलाहाबाद के घाटों में स्नान कर सूर्य की पूजा की जाती है. जो लोग घाट नहीं जा पाते हैं वे लोग घर पर ही स्नान करते हैं. इस दिन नहाना बहुत जरूरी माना जाता है. नहाने के बद तिल और गुड़ का प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इस दिन चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है.
उत्तराखंड
उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में मकर संक्रांति एक बड़ा त्योहार है. कुमाऊं में इसे 'घुघुतिया' (Ghughutiya) और 'काले कौवा' (Kale Kawa) के नाम से जाना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के साथ ही खिचड़ी दान देने का विधान है. यहां आटे और गुड़ के मिश्रण से घुघुते (Ghughute) या खजूरे (Khajoore) बनाए जाते हैं, जिन्हें माला में पिरोया जाता है. इस माला के बीच में एक संतरा भी लटका होता है. आमतौर पर ये माला घर के बच्चों के लिए बनाई जाती है. बच्चे सुबह-सवेरे इस माला को पहनकर कौए और दूसरे पक्षियों को अपनी माला की ओर आकर्षित करते हैं. माला में लटके घुघुते और खजूरे इन पक्षियों को खिलाए जाने की परंपरा है.
दिल्ली और हरियाणा
दिल्ली और हरियाणा में इसे 'सक्रात' या 'संक्रांति' कहते हैं. इस दिन तिल से बनी मीठी चीजों को खाया जाता है. यही नहीं इस दिन भाई अपनी बहन के ससुराल जाकर उसे तोहफे भी देते हैं. इन तोहफों में गर्म कपड़े, गजक, रेवड़ी और तिल के लड्डू शामिल होते हैं.
मकर संक्रांति पर क्या है तिल का महत्व?
पंजाब
पंजाब में मकर संक्रांति से एक दिन पहले 'लोहड़ी' मनाई जाती है. वहीं, मकर संक्रांति का पर्व माघी के नाम से मनाया जाता है. इस दिन तड़के सुबह स्नान करने का विशेष महत्व है. पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब में तो बड़ा मेला लगता है. इस दिन चावल, दूध और गन्ने के रस से बनी खीर खाई जाती है. साथ ही खिचड़ी और गुड़ खाने का भी विधान है.
बिहार और झारखंड
बिहार और झारखंड में 14 जनवरी को 'सक्रात' या 'खिचड़ी' के रूप में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. बाकि राज्यों की तरह यहां भी स्नान कर सूर्य की उपासना की जाती है. साथ ही दही-चूड़ा, तिल-गुड़ से बने खाद्य पदार्थों और मौसमी सब्जियों का नाश्ता किया जाता है. वहीं अगले दिन यानी कि 15 जनवरी को मक्रात मनाई जाती है. मक्रात के दिन दाल-चावल, गोभी, मटर और आलू से बनी खिचड़ी खाई जाती है.
राजस्थान
राजस्थान में इस पर्व को 'मकर संक्रांति' या 'संक्रात' कहते हैं. फीनी, तिल-पट्टी, गजक, खीर, घेवर, पुए और तिल के लड्डू खाकर इस त्योहार को मनाया जाता है. इस दिन विवाहति बेटियों को पति के साथ मायके बुलाया जाता है. यही नहीं दोस्तों और रिश्तेदारों को भी खाने पर आमंत्रित किया जाता है, जिसे 'संक्रांत भोज' कहते हैं. इस दिन खिचड़ी, सूखे मेवे और तिल-गुड़ दान करने का भी विधान है. राज्य के कई इलाकों में पतंग भी उड़ाई जाती है.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मकर संक्रांति के दिन बिहार और उत्तर प्रदेश की ही तरह खिचड़ी और तिल के लड्डू खाने की परंपरा है. यहां के लोग इस दिन गुजिया भी बनाते हैं.
तमिलनाडु
दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में मकर संक्रांति को 'पोंगल' के रूप में मनाया जाता है. भारत के ज्यादातर त्योहारों की तरह पोंगल भी एक कृषि-पर्व है. खेती-बाड़ी का सीधा संबंध ऋतुओं से है और ऋतुओं का सीधा संबंध सूर्य से है. इसलिए इस दिन विधिवत सूर्य पूजा की जाती है. इस दिन भगवान सूर्यदेव को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है, तमिलनाडु में उसे 'पोंगल' कहते हैं. तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ है: 'अच्छी तरह से उबालना और सूर्य देवता को भोग लगाना.' इस दिन तमिलनाडु के लोग दूध से भरे एक बरतन को ईख, हल्दी और अदरक के पत्तों को धागे से सिलकर बांधते हैं और उसे प्रज्वलित अग्नि में गर्म करते हैं और उसमें चावल डालकर खीर बनाते हैं. फिर उसे सूर्यदेव को समर्पित किया जाता है.
असम
मकर संक्रांति के अवसर पर असम में 'भोगाली बिहू' मनाया जाता है. इसे 'माघ बिहू' भी कहते हैं. असम का यह बहुत बड़ा त्योहार है. यह फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है. माघ बिहू के पहले दिन को 'उरुका' कहा जाता है. इस दिन बांस, पुआल और लकड़ी से झोपड़ियां बनाई जाती हैं. इन झोपड़ियों को मेजी कहा जाता है, जिसमें रात्रिभोज होता है. उरुका के दूसरे दिन सुबह स्नान करके मेजी जलाकर माघ बिहू का शुभारंभ किया जाता है. सभी लोग इस मेजी के चारों और इकट्ठा होकर भगवान से मंगल की कामना करते हैं. इस बिहू का नाम भोगाली इसलिए रखा गया है क्योंकि इस दौरान तिल, चावल, नारियल, गन्ना जैसी फसलें भरपूर मात्रा में होती हैं. इन्हीं चीजों से तरह-तरह की खाद्य सामग्री बनाई जाती है और खिलाई जाती है.
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में सुहागन महिलाएं पुण्यकाल में स्नानकर तुलसी की आराधना और पूजा करती हैं. इस दिन महिलाएं मिट्टी से बना छोटा घड़ा, जिसे 'सुहाणा चा वाण' कहते हैं, में तिल के लड्डू, सुपारी, अनाज, खिचड़ी और दक्षिणा रखकर दान का संकल्प लेती हैं. 'ताल-गूल' नामक हलवे के बांटने की प्रथा भी है. लोग एक दूसरे को तिल-गुड़ देते हैं और बोलते हैं : `तिल गुड़ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला` अर्थात् तिल गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो. इस दिन महिलाएं आपस में तिल, गुड़, रोली और हल्दी बांटती हैं.
गोवा
गोवा में भी महाराष्ट्र की तरह की मकर संक्रांति मनाई जाती है. यहां हिंदू महिलाएं इस त्योहार को हल्दी-कुमकुम के रूप में मनाती हैं.
गुजरात
गुजरात में मकर संक्रांति के त्योहार को 'उत्तरायण' कहा जाता है. यह त्योहार दो दिनों तक चलता है. 14 जनवारी को उत्तरायण और 15 जनवरी को वासी-उत्तरायण मनाया जाता है. मकर संक्रांति पर यहां पतंगबाजी और खूब मौज-मस्ती होती है. पुरुष-महिलाएं दोनों ही पतंगें उड़ाते हैं. पूरा परिवार घर की छत पर सामूहिक रूप से भोजन करता है. यहां तिल और गुड़ के लड्डुओं के अंदर सिक्के रखकर दान करने की भी परंपरा है. इस दिन मौसमी सब्जियों को मिलकार उंधियो बनाया जाता है, जिसे पूरा परिवार साथ बैठकर बड़े चाव से खाता है.
हिमाचल प्रदेश
मकर संक्रांति के त्योहार को हिमाचल प्रदेश में 'माघ साजी' कहा जाता है. साजी पहाड़ी शब्द है जिसका मतलब है संक्रांति. इस दिन यहां खिचड़ी खाई जाती है और दान भी की जाती है.
ओडिशा
मकर संक्रांति के मौके पर ओडिशा के कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर में धूमधाम से पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही इस दिन भगवान सूर्य को नई फसल के चावल, केला, नारियल, गुड़ और तिल का प्रसाद अर्पण किया जाता है.
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल के गंगासागर तट पर इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देकर मकर राशि में उनके प्रवेश और उत्तरायण का स्वागत करते हैं. इस तट पर एक विशाल मेला भी लगता है, जिसे गंगासागर मेला कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन गंगासागर में डुबकी लगाने से पापों का नाश हो जाता है. बंगाल में स्नान के बाद तिल का दान किया जाता है.
कर्नाटक
कर्नाटक में मकर संक्रांति फसलों का त्योहार है. इस दिन गाय-बैलों को सजाकर उनकी शोभा यात्रा निकाली जाती है. लोग नए कपड़े पहनकर गन्ने, नारियल और भुने चने से एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं.
केरल
केरल में भगवान अयप्पा की निवास स्थली सबरीमाला की वार्षिक तीर्थयात्रा की अवधि मकर संक्रान्ति के दिन ही समाप्त होती है.
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