Mahamrityunjaya Mantra: हिन्दू धर्मा शास्त्रों में मंत्र जाप का विशेष महत्व है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार जप करने से मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होते हैं. साथ ही जीवन में सुख शांति भी बनी रहती है और आस-पास का वातावरण पवित्र और सकारात्मक रहता है. आपको बता दें कि मंत्र (Mantr jaap) जाप से भय, दोष, काम, क्रोध, दुख, इर्ष्या जैसी नकारात्मक ऊर्जा जीवन से दूर होती है. ऐसे में हम आपको एक ऐसे मंत्र के बारे में बताने वाले हैं जिसके जप से जीवन सुखमय होगा. यहां बात हो रही है महामृत्युंजय मंत्रोच्चारण (Shiv mantra) की, तो चलिए जानते हैं इसके अर्थ, महत्व और विधि के बारे में.
महामृत्युंजय मंत्र-
।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
हिन्दी अर्थ
इस मंत्र का अर्थ है कि हम भगवान शिव की अराधना करते हैं जो संपूर्ण विश्व का पालन पोषण करते हैं. हम उनसे विनती करते हैं कि वह हमें जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त करके मोक्ष प्रदान करे. जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, उसी प्रकार हमें भी मृत्यु और नाश्वरता से मुक्त कर दीजिए प्रभु.
किस दिन और कितने बार करना चाहिए जाप
- महामृत्युंजय जाप सोमवार के दिन करना चाहिए. इस जाप को शिवलिंग के सामने या किसी शिव मंदिर में बैठकर करते हैं तो ज्यादा फलदायी होगा. इसके अलावा शिवरात्रि के दिन करने से यह और फलदायी हो जाता है. शिव पुराण के अनुसार, इस मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए. इससे सारे रोग और कष्ट दूर होते हैं.
- अगर आपको महामृत्युंजय जाप करने का समय नहीं मिल पा रहा है तो सोमवार के दिन किसी विद्नान से भी पूरे विधि विधान के साथ घर में करा सकते हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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