
Amarnath significance 2025 : अमरनाथ धाम हिन्दू धर्म के पवित्र स्थलों में से एक है. जहां पर एक बार जाने की इच्छा हर किसी की होती है. मान्यता है कि अमरनाथ धाम में साक्षात भोलेनाथ विराजमान हैं. ऐसा कहा जाता है कि अमरनाथ की गुफा में ही देवों के देव महादेव ने मां पार्वती को अमर होने के रहस्य के बारे में बताया था. यह भी कहा जाता है कि अमरनाथ की गुफा में कबूतरों का एक जोड़ा है, जिसे देखना बहुत शुभ माना जाता है. यह भी बता दें कि यह कबूतर सभी को नजर नहीं आता है, जिसे यह दिखाई पड़ता है वह अपने आपको बहुत भाग्यवान मानता है. ऐसे में आइए जानते हैं गुफा में मौजूद कबूतर के जोड़े का रहस्य ज्योतिषाचार्य अलकनंदा शर्मा से.
क्या है अमरनाथ गुफा में मौजूद कबूतरों का रहस्य
डॉ. अलकनंदा शर्मा कहती हैं कि अमरनाथ गुफा, जो भगवान शिव के एक प्रमुख पवित्र स्थल के रूप में जानी जाती है, वहां एक रहस्यमयी और आस्थाजनक घटना की चर्चा प्राचीन काल से होती आ रही है, जो है कबूतर के जोड़े की उपस्थिति. यह घटना सिर्फ एक पक्षी-जोड़े की नहीं, बल्कि एक दिव्य रहस्य की प्रतीक मानी जाती है.

दरअसल, जब भगवान शिव माता पार्वती को अमर कथा (अमृत ज्ञान) सुनाने के लिए अमरनाथ गुफा में आए, तो उन्होंने सभी जीवों को त्याग दिया. अपने वाहन नंदी बैल को पहलगाम में, चंद्रमा को चंदनबाड़ी में, सर्पों को शेषनाग में, और गले के रुद्राक्ष को पंचतरणी में छोड़ते हुए, केवल मां पार्वती को लेकर गुफा के भीतर पहुंचे. यहां भगवान शिव ने पार्वती जी को वह अमर ज्ञान सुनाया, जो किसी को भी अजर-अमर बना सकता था.

मान्यता है कि उस समय एक कबूतर का जोड़ा भी गुफा में छुपकर यह कथा सुन रहा था. कथा पूरी होते ही भगवान शिव को आभास हुआ कि कोई तीसरा प्राणी भी इसे सुन रहा है. शिव जी ने उस जोड़े को देख लिया, लेकिन उन्होंने उन्हें माफ कर दिया, क्योंकि वे पूरी श्रद्धा और शांत चित्त से कथा सुन रहे थे. श्रद्धा और भक्ति से बड़ी कोई योग्यता नहीं है. कबूतर जैसे छोटे पक्षी ने भी शिव कथा को श्रद्धा से सुना, इसलिए कबूतर के जोड़े को अमरत्व प्राप्त हो गया.
अलकनंदा शर्मा बताती हैं कि अमर कथा एक गूढ़ ज्ञान है, जिसे सुनकर जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है. शिवजी ने यह कथा अत्यंत गोपनीय मानी थी, और उसके प्रभाव से स्वयं पक्षी भी अमर हो सकते हैं.
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई, 2025 से शुरू होगी, और 9 अगस्त 2025 को समाप्त. यह यात्रा कुल 38 दिनों तक चलेगी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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