भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है. यहां स्थान बदलने के साथ-साथ बोली, परंपराएं और रहन-सहन का तरीका भी बदल जाता है. हर जगह पर्व मनाने का अंदाज व परंपराएं भी अलग-अलग हैं. होली एक ऐसा त्योहार है, जो अलग-अलग प्रदेशों और स्थानों पर विभिन्न परंपराओं के साथ मनाया जाता है. प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को रंग वाली होली खेली जाती है. इस बार 17 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 18 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी.
भारत में कई जगह रंग को धुलेंडी (दुल्हेंडी) भी कहा जाता है. भारत में अलग-अलग राज्यों में होली कई तरह से मनाई जाती है. चलिए जानते हैं कि किस राज्य में होली का त्योहार किस तरह से मनाया जाता है.
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(उत्तर प्रदेश) ब्रज की होली
भारत में सबसे ज्यादा मशहूर है ब्रज की होली. बरसाना की लट्ठमार होली देश में ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है. ब्रज की होली को लट्ठमार होली कहा जाता है. इस दिन नंद गांव के लोग होली खेलने के लिए राधा के गांव बरसाने जाते हैं और बरसाना गांव के लोग नंद गांव में जाते हैं. मथुरा, वृंदावन और बरसाना के इलाकों में खासतौर पर लट्ठमार होली खेली जाती है. यहां पर महिलाएं लाठी से पुरुषों की पिटाई करती हैं, जबकि पुरुष उनसे बचने की कोशिश करते हैं. यह सब हंसी-खुशी के वातावरण में होता है. मथुरा-वृंदावन में रंगों से ही नहीं, बल्कि फूलों से भी होली खेली जाती है.
(राजस्थान) शाही होली
राजस्थान के उदयपुर में एक अलग ही अंदाज में होली खेली जाती है. यही वजह है कि इसे रजवाड़ा और शाही होली कहा जाता है. यहां जूलूस भी निकाला जाता है, जिसमें हाथी, घोड़े से लेकर शाही बैंड शामिल होता है, जिसे देखने विदेशों से भी लोग यहां आते हैं. होली के दिन राजस्थान में जैसलमेर के मंदिर महल में लोकनृत्यों का आयोजन किया जाता है. इस दौरान यहां के रंग देखते ही बनते हैं.
(मध्यप्रदेश) भगोरिया उत्सव
मध्यप्रदेश में भी कई राज्यों की तरह ही पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और उसके दूसरे दिन धुलेंडी मनाई जाती है. होली के पांचवें दिन बड़े ही धूम-धाम से रंगपंचमी मनाई जाती है. इस अवसर पर भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में शामिल हुए लोग सूखे रंग से होली खेलते हैं. मध्यप्रदेश में झाबुआ के क्षेत्रों में भी होली की खासा धूम देखने को मिलती है. यहां पर होली को 'भगोरिया' कहा जाता है.
(उत्तराखंड) कुमाउ की होली
उत्तराखंड के कुमाउ क्षेत्र में हर साल कुमाउनी होली बड़ी धूम-धाम से मनाई जाती है. यहां के लोगों के लिए यह पर्व ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उत्सव से कम नहीं है. कहते हैं कि यहां दो महीने तक होली का खुमार देखने को मिलता है. यहां विभिन्न प्रकार के संगीत समारोह के रूप में होली मनाई जाती है. इसे बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली के नाम से भी जाना जाता है.
(छत्तीसगढ़) होरी उत्सव
छत्तीसगढ़ में होली वाले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में होली को 'होरी' कहा जाता है. यहां पर होली का पारंपारिक रूप देखने को मिलता है. इसके साथ ही गली-गली में नगाड़े की थाप पर लोकगीत गाए जाते हैं.
(हरियाणा) धुलेंडी की धूम
भारतीय संस्कृति में रिश्तों और प्रकृति के बीच सामंजस्य का अनोखा मिश्रण हरियाणा की होली में देखने को मिलता है. हरियाणा में होली धुलेंडी के रूप में मनाते हैं और सूखी होली गुलाल और अबीर से खेलते हैं. हरियाणा की धुलेंडी में भाभी द्वारा देवर को परेशान करने की प्रथा है. इस दिन भाभियां देवरों को तरह-तरह से सताती हैं और देवर बेचारे चुपचाप झेलते हैं, क्योंकि इस दिन तो भाभियों का दिन होता है. यह देशभर में प्रसिद्ध है.
(बंगाल) दोल जात्रा
बंगाल में होली के एक दिन पहले यहां दोल जात्रा निकाली जाती है, जिसे दोल उत्सव भी कहा जाता है. दोल उत्सव बंगाल में होली से एक दिन पहले मनाया जाता है, जिसमें महिलाएं लाल किनारी वाली पारंपरिक सफेद साड़ी पहनकर शंख बजाते हुए राधा-कृष्ण की विधि-विधान पूजा-अर्चना करते हुए उनकी भक्ति में रम जाती हैं. बता दें कि इस दिन प्रभात-फेरी (सुबह निकलने वाला जुलूस) का आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया जाता है.
(गोवा) शिमगोत्सव
गोवा में होली को कोंकणी में शिमगो या शिमगोत्सव कहते हैं. यहां बड़े ही धूमधाम से रंगों से होली खेली जाती है. इस दौरान खाने में तीखी मुर्ग या मटन की करी खाते हैं, जिसे शगोटी कहा जाता है. इसके बाद मिठा खाया जाता है. बता दें कि गोवा के मछुआरा समाज में होली फाल्गुन मास में आने वाले त्योहारों को शिमगो या शिमगा कहा जाता है. यहां पर होली के दिन देश के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी जमकर होली खेलते हैं. लोग रंग खेलने के साथ डीजे पार्टी, पूल पार्टी जैसे आयेजनों में जमकर लुफ्त उठाते हैं.
(बिहार) कपड़ा फाड़ होली
बिहार में होली को फाग या फगुआ भी कहते हैं. इस अवसर पर यहां गाए जाने वाले फगुआ की अपनी गायन शैली के लिए अलग पहचान है. राज्य में कई स्थानों पर कीचड़ से होली खेली जाती है तो कई स्थानों पर कपड़ा फाड़ होली खेलने की भी परंपरा है. होली के दिन रंग से सराबोर लोग ढोलक की धुन पर नाचते है और लोकगीत गाते हैं.
(महाराष्ट्र) गोविंदा होली
महाराष्ट्र में रंगपंचमी में सुखा गुलाल खेलने की प्रथा है. महाराष्ट्र में गोविंदा होली की बहुत धूम होती है. होली पर यहां मटकी फोड़ होली खेली जाती है. इसके साथ ही पूरा वातावरण रंगो से सराबोर हो जाता है. यहां पर होली को 'फाल्गुन पूर्णिमा' भी कहा जाता है.
(पंजाब) होला मोहल्ला
पंजाब में होली को 'होला मोहल्ला' कहा जाता है. पंजाब में होली के अगले दिन सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री आनन्दपुर साहिब में 'होला मोहल्ला' मेले का आयोजन किया जाता है, जो 6 दिन तक चलता है. इसमें वीरता और पराक्रम का रंग देखने को मिलता है. कहते हैं कि इस परंपरा की शुरूआत सिखों को दसवें गुरू, गोविंदसिंह जी के द्वारा की गई थी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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