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Shiv puja niyam : ज्योतिर्विद से जानिए शिव की प्रतिमा और शिवलिंग की पूजा में क्या है अंतर और महत्व

शिव महापुराण आदि ग्रन्थों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि सभी देवी देवता , भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण आदि शिव लिंग की पूजा करते हैं.

Shiv puja niyam : ज्योतिर्विद से जानिए शिव की प्रतिमा और शिवलिंग की पूजा में क्या है अंतर और महत्व
शिव की मूर्ति भगवान शिव के साकार रूप का प्रतिनिधित्व करती है.

Shivling and shiv puja niyam : सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई से शुरू हो गया है, और आज सावन का पहला सोमवार है. भोलेनाथ के भक्त पूजा अर्चना में लगे हुए हैं. इस दिन लोग शिव की प्रतिमा या फिर शिवलिंग की पूजा अर्चना करते हैं. ऐसे में यह सवाल मन में आता है कि शिव और शिवलिंग की पूजा की विधि में क्या कोई अंतर है. अगर हां, तो क्या इनका महत्व अलग-अलग है. इस बारे में आगरा के ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से बातचीत हुई जिसमें उन्होंने इस विषय पर विस्तार से बताया. तो आइए जानते हैं शिव और शिवलिंग की पूजा में क्या है अंतर और महत्व...

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शिवलिंग पूजा विधि

पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि शिवलिंग शिव के निराकार स्वरूप का प्रतीक है, जबकि शिव की मूर्ति साकार रूप का प्रतिनिधित्व करती है. शिवलिंग भगवान शिव के निराकार, अनंत और असीमित स्वरूप का प्रतीक है. यह प्रकृति और पुरुष के मिलन का भी प्रतीक माना जाता है. शिवलिंग में विष्णु जी, ब्रह्मा जी, महेश त्रिदेवों का वास होता है. 

वहीं, शिवलिंग की पूजा में जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाए जाते हैं. इसकी पूजा के लिए विशेष नियम और विधान हैं, और इसे घर के मंदिर में स्थापित करना सामान्यतः उचित नहीं माना जाता है. क्योंकि शिवलिंग की त्रिकाल पूजा विधि विधान से करनी होती है.

शिव मूर्ति की पूजा विधि

शिव की मूर्ति भगवान शिव के साकार रूप का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें उनके विभिन्न रूप, जैसे कि नटराज, अर्धनारीश्वर आदि दर्शाए जाते हैं. इस पूजा में भी जल, दूध, फल, फूल आदि चढ़ाए जाते हैं. शिव की मूर्ति को घर के मंदिर में स्थापित किया जा सकता है, और उनकी नियमित रूप से पूजा की जा सकती है. 

निष्कर्ष

  • शिवलिंग की पूजा से भगवान शिव की ऊर्जा और निराकार स्वरूप का आशीर्वाद मिलता है.
  • वहीं, शिव की मूर्ति की पूजा से भगवान शिव के साकार रूप के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं.
  • दोनों ही प्रकार की पूजा का अपना महत्व है. शिवलिंग की पूजा निराकार और अनंत स्वरूप की आराधना है. जबकि शिव की मूर्ति की पूजा साकार रूप की आराधना है. 
  • शिव महापुराण आदि ग्रन्थों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि सभी देवी देवता , भगवान श्री राम, भगवान श्री कृष्ण आदि शिव लिंग की पूजा करते हैं.


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