फाइल फोटो
नयी दिल्ली:
केरल की एलडीएफ सरकार ने आज कहा कि वह सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति की अपनी प्रतिबद्धता के साथ खड़ी है। राज्य देवस्वोम मंत्री कदकमपल्ली सुरेंद्रन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि एलडीएफ सरकार वर्ष 2007 के अपने हलफनामे के साथ खड़ी है जिसमें महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया गया था।
सरकार ने मंगाई सबरीमाला मामले से जुड़ी फाइल...
उन्होंने कहा, ‘एलडीएफ सरकार वर्ष 2007 में हमारे द्वारा दिये गये हलफनामे के साथ खड़ी है। मैंने सबरीमाला मामले से जुड़ी फाइल मंगाई है। सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर हमारा रूख साफ है लेकिन यूडीएफ सरकार ने सत्ता में रहने के समय सरकार का रूख बदल दिया था।’
परंपरा को लेकर चर्चा की जरूरत...
मंत्री ने कहा, ‘मंदिर में प्रवेश ऐसा मामला है जिस पर हमें समाज में संस्कृति, परंपरा को लेकर चर्चा करने की जरूरत है। हम महिलों की समानता के पक्षधर हैं और हम सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का विरोध नहीं करते।’
भगवान पुरूषों और महिलाओं में कोई भेद नहीं करता : उच्चतम न्यायालय...
उच्चतम न्यायालय ने 12 फरवरी को केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की परंपरा पर सवाल खड़े किए थे और आश्चर्य जताया था कि क्या लोगों की परंपरा ऐसी रोक तय कर सकती है जबकि ‘भगवान पुरूषों और महिलाओं में कोई भेद नहीं करता।’ वर्ष 2008 में तत्काली एलडीएफ सरकार ने एक हलफनामा दायर करके सभी आयु वर्गों की महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया था।
सरकार ने मंगाई सबरीमाला मामले से जुड़ी फाइल...
उन्होंने कहा, ‘एलडीएफ सरकार वर्ष 2007 में हमारे द्वारा दिये गये हलफनामे के साथ खड़ी है। मैंने सबरीमाला मामले से जुड़ी फाइल मंगाई है। सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश पर हमारा रूख साफ है लेकिन यूडीएफ सरकार ने सत्ता में रहने के समय सरकार का रूख बदल दिया था।’
परंपरा को लेकर चर्चा की जरूरत...
मंत्री ने कहा, ‘मंदिर में प्रवेश ऐसा मामला है जिस पर हमें समाज में संस्कृति, परंपरा को लेकर चर्चा करने की जरूरत है। हम महिलों की समानता के पक्षधर हैं और हम सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश का विरोध नहीं करते।’
भगवान पुरूषों और महिलाओं में कोई भेद नहीं करता : उच्चतम न्यायालय...
उच्चतम न्यायालय ने 12 फरवरी को केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी की परंपरा पर सवाल खड़े किए थे और आश्चर्य जताया था कि क्या लोगों की परंपरा ऐसी रोक तय कर सकती है जबकि ‘भगवान पुरूषों और महिलाओं में कोई भेद नहीं करता।’ वर्ष 2008 में तत्काली एलडीएफ सरकार ने एक हलफनामा दायर करके सभी आयु वर्गों की महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया था।
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