विज्ञापन

तबीयत बिगड़ जाने पर कैसे करें Kawad यात्रा पूरी और क्या जमीन पर रख सकते हैं कांवड़, जानिए पंडित जी से नियम

Kanwar Yatra 2025 क्या तबीयत खराब होने पर कांवड़ यात्रा खंडित हो जाती है. इस बारे में भागवत किंकर हृदेश कृष्ण शास्त्री से बातचीत की जिसमें उन्होंने विशेष परिस्थिति में कांवड़ यात्रा क्या नियम बताए हैं इस बारे में विस्तार से बताया है. तो बिना देर किए आइए जानते हैं...  

तबीयत बिगड़ जाने पर कैसे करें Kawad यात्रा पूरी और क्या जमीन पर रख सकते हैं कांवड़, जानिए पंडित जी से नियम
हृदेश कृष्ण शास्त्री कहते हैं कि पूजा तीन प्रकार की होती है -सात्विक, राजस और और तामस.

Kawad yatra 2025 : 11 जुलाई से सावन महीना और कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है. हर तरफ बम भोले के नारे सुनाई पड़ रहे हैं. नंगे पांव कांवड़िए कांवड़ लिए 4 पवित्र नदियों का जल एकत्रित करने के लिए निकल पड़े हैं. सभी का एक ही लक्ष्य अपने प्रिय भगवान को सावन के शिवरात्रि के दिन गंगाजल से अभिषेक कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना. आपको बता दें कि कांवड़ एक कठिन यात्रा है जिसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत मजबूत होने की जरूरत होती है, तभी आप इस यात्रा को पूरी कर सकते हैं. कई बार रास्ते में कांवड़िए की तबीयत भी बिगड़ जाती है, जिसके कारण बीच में ही कांवड़ यात्रा को छोड़ना पड़ता है. ऐसे में दिमाग में यह सवाल उठता है कि क्या तबीयत खराब होने पर कांवड़ यात्रा खंडित हो जाती है. इस बारे में भागवत किंकर हृदेश कृष्ण शास्त्री से बातचीत की जिसमें उन्होंने विशेष परिस्थिति में कांवड़ यात्रा क्या नियम बताए हैं इस बारे में विस्तार से बताया है. तो बिना देर किए आइए जानते हैं...  

Kanwad yatra 2025 : Daak Kanwar Yatra क्या होती है, इसके क्या नियम और महत्व हैं?

तबीयत बिगड़ जाने पर कैसे पूरी करें कांवड़ यात्रा 

हृदेश कृष्ण शास्त्री कहते हैं कि पूजा तीन प्रकार की होती है -सात्विक, राजस और और तामस. तामस के अंदर बहुत सारी परंपरा पाई जाती हैं- जैसे बली प्रथा, समाधि लेना,अन्न जल का त्याग कर देना इसी में कांवड यात्री भी आती है. 

लेकिन कलियुग में प्राण अन्न और जल में बसते हैं इसलिए मनुष्य के अन्दर तपस्या आदि का सामर्थ्य नहीं है. ऐसे में शास्त्र यह छूट देते हैं की अगर शारीरिक अस्वस्थता के कारण कोई व्रत खंडित होता है तो वह खंडित नहीं माना जाएगा. आप दोबारा से अपनी यात्रा को शुरू कर सकते हैं. 

कृष्ण शास्त्री आगे कहते हैं कि 'शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' अर्थात स्वस्थ शरीर के बिना, व्यक्ति अपने धार्मिक और सांसारिक कर्तव्यों को ठीक से नहीं निभा सकता. इसलिए, शरीर को स्वस्थ और मजबूत रखना, उसे बीमारियों से बचाकर रखना और उसकी देखभाल करना, मनुष्य का पहला कर्तव्य होना चाहिए.

संस्कृत की यह कहावत हमें सिखलाती है कि मनुष्ट को पहले अपने शरीर को महत्व देना चाहिए, और इसे हमेशा स्वस्थ रखना चाहिए. ताकि आप अपने धार्मिक, आध्यात्मिक और सांसारिक लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें. 

तबीयत बिगड़ने पर कांवड़ नीचे रख सकते हैं?

वहीं, किंकर हृदेश कृष्ण शास्त्री कहते हैं कि वैसे तो कांवड़ यात्रा में कांवड़ को जमीन पर न रखने का नियम होता है, लेकिन विशेष परिस्थति में आप इसे रख सकते हैं, इसमें किसी प्रकार दोष नहीं होता है. क्योंकि जल पात्र में होता है ऐसे में जमीन का स्पर्श नहीं होता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com