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This Article is From Oct 27, 2022

Kartik Purnima 2022 Date: कब है कार्तिक पूर्णिमा, जानें डेट, शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व

Kartik Purnima 2022 Date: कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करना शुभ माना जाता है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर खास संयोग बन रहा है.

Kartik Purnima 2022 Date: कब है कार्तिक पूर्णिमा, जानें डेट, शुभ मुहूर्त और स्नान-दान का महत्व
Kartik Purnima 2022: इस दिन रखा जाएगा कार्तिक पूर्णिमा का व्रत.

Kartik Purnima 2022 Date, Shubh Muhurat: कार्तिक मास का बेहद धार्मिक महत्व है. इस महीने को सबसे उत्तम माना गया है. भगवान विष्ण और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस महीने में नदी में स्नान करना खास है. मान्यता है कि इस महीने में दीप दान और व्रत करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. पौराणिक मान्यता है कि इस पवित्र महीने में भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था. यही वजह कि कार्तिक मास में भगवान विष्णु की उपासना खास होती है. कार्तिक पूर्णिमा कब है, इसके लिए शुभ मुहूर्त क्या है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन-दान करने से क्या होता है इसके बारे में आगे जानते हैं. 

कार्तिक पूर्णिमा 2022 डेट, शुभ मुहूर्त | Kartik Purnima 2022 Date, Shubh Muhurat

कार्तिक पूर्णिमा तिथि आरंभ- 7 नवंबर, 2022 को शाम 4 बजकर 15 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 08 नवंबर, 2022 को शाम 4 बजकर 31 मिनट पर 

कार्तिक पूर्णिमा व्रत तिथि- 08 अक्टूबर, 2022 

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 57 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक (8 नबंबर 2022)

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान-दान का महत्व | Kartik Purnima 2022 Snan Daan

हिंदू धर्म में कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का खास महत्व है. पुराणों के मुताबिक इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं. साथ ही तन-मन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. 

पुराणों के अनुसार कार्तिक मास में भगवान विष्णु मत्स्य रूप में जल में विराजमान रहते हैं. यही वजह है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी में स्नान के पश्चाद दान करने से वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है. 

मान्यता है कि जो कोई कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लेता है, उसके दैहिक, दैविक और भौतिक ताप दूर हो जाते हैं. 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था, इसलिए इस पूर्णिमा को त्रपुरारी पूर्णिमा भी कहते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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