विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Jun 27, 2022

Ambubachi Mela 2022: 30 जून से खुलेगा मां कामाख्या मंदिर का पट, जानें अंबुबाची मेला में क्यों जुटते हैं तंत्र-मंत्र के साधक

Ambubachi Mela 2022: बंबुबाची मेला प्रत्येक साल आषाढ़ मास में आयोजित होता है. इस दौरान मां कामाख्या मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. इस साल 30 जून को मां कामाख्या मंदिर का कपाट खोला जाएगा.

Read Time: 4 mins
Ambubachi Mela 2022: 30 जून से खुलेगा मां कामाख्या मंदिर का पट, जानें अंबुबाची मेला में क्यों जुटते हैं तंत्र-मंत्र के साधक
Ambubachi Mela 2022: बंबुबाची मेला में दुनिया भर के तंत्र साधक जुटते हैं.

Ambubachi Mela 2022: अंबुबाची मेला गुवाहाटी राज्य में स्थित शक्तिपीठ मां कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में आषाढ़ मास में लगता है. इस दौरान मां कामाख्या शक्तिपीठ (Shaktipeeth) में दुनिया भर के तंत्र विध्या के साधकों की भीड़ उमड़ती है. हालांकि इन दिनों में मां कामाख्या मंदिर (Kamakhya Mandir) के कपाट बंद रहते हैं. अंबुबाची मेला (Ambubachi Mela) के समापन के पश्चात् माता के दर्शन-पूजन के लिए मंदिर के कपाट खोले जाते हैं. इस बार मां कामाख्या मंदिर के कपाट 30 जून को खोला जाएगा. आइए जानते हैं कि अंबूबाची मेला के दौरान मां कामाख्या मंदिर परिसर में तंत्र-मंत्र के साधक क्यों जुटते हैं और माता के इस शक्तिपीठ का क्या महत्व है. 

कैसे हुई कामाख्या शक्तिपीठ की स्थापना | How Kamakhya Shaktipeeth was established

शिव महापुराण (Shiv Mahapuran) में वर्णित कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री देवी सती का विवाह भगवान शिव (Lord Shiva) से हुआ. दक्ष प्रजापति ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन भगवान शिव और माता सती को बुलावा नहीं भेजा. देवी सती ने इसके बावजूद पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में गईं. वहां दक्षप्रजा पति ने शिव जी के लिए कुछ ऐसी बाते कही जो देवी सती को अपमानजक लगीं. जिसके बाद देवी सती ने उसी यज्ञ कुंड की अग्नि में अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया. इस बात की जानकारी जब शिवजी को हुई तो उनका क्रोध जाग्रित हो गया. उन्होंने वीरभद्र से दक्ष प्रजापति को दंडित करने के लिए कहा. भगवान शिव सती के जलते हुए शरीर को उठाकर वियोग में भटकने लगे. जिसके बाद भगवान विष्णु ने उनका वियोग और मोह को दूर करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित करने के लिए कहा. कहा जाता है कि इस क्रम में देवी सती के विभिन्न अंग कई स्थानों पर गिरे. जहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए. माना जाता है कि असम के ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे माता सती का गोपनीय अंग गिरा. वर्तमान में इसी स्थान पर शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर स्थापित है. यह शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है. 

12 जुलाई से इन राशियों के जीवन में आएगा बड़ा बदलाव, शनि देव की कृपा से बदलने वाली है किस्मत!

इसलिए मनाया जाता है अंबुबाची मेला | Why Ambubachi Mela is celebrated

शक्तिपीठ कामाख्या मंदिर में प्रत्येक वर्ष आषाढ़ महीने में यानि अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक लगभग 22 जून सो 26 जून तक अंबुबाची उत्सव (Ambubachi festival) मनाया जाता है. इस दौरान मां कामाख्या रजस्वला होती हैं. इस वजह से उत्सव की अवधि में मंदिर के कपाट बंद रहते हैं. लेकिन इस दौरान तंत्र-मंत्र की साधना होती है. जिसमें दुनिया भर से तंत्र विद्धा की साधना करने वाले जुटते हैं. मंदिर के नजदीक स्थित भूतनाथ श्मशान में पूरी रात जलती चिताओं के बीच तंत्र साधकों की भीड़ उमड़ती है. 

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए खास है दीपक, रोजाना इस दिशा में जलाने पर पितर होते हैं प्रसन्न

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

सन टैनिंग को इन घरेलू नुस्खों से भगाएं दूर

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
जुलाई के पहले हफ्ते में रखा जाएगा प्रदोष व्रत, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि  
Ambubachi Mela 2022: 30 जून से खुलेगा मां कामाख्या मंदिर का पट, जानें अंबुबाची मेला में क्यों जुटते हैं तंत्र-मंत्र के साधक
केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले, भक्तों के लिए चारधाम यात्रा प्रारंभ
Next Article
केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट खुले, भक्तों के लिए चारधाम यात्रा प्रारंभ
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;