kalashtami: वैशाख के महीने में कालाष्टमी आने वाली है. हिन्दू धर्म में इस व्रत की विशेष मान्यता है. भक्त इस दिन देवों के देव महादेव (Mahadev) के पांचवे अवतार माने जाने वाले काल भैरव (kaal Bhairav) की पूजा-अर्चना करते हैं. कालाष्टमी हर माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस महीने 23 अप्रैल के दिन कालाष्टमी का व्रत रखा जाएगा. माना जाता है कि इस दिन यदि भक्त पूरे मनभाव से भगवान काल भैरव की उपासना करते हैं तो वे उनकी हर मनोकामना सुनते हैं और जीवन सुखमय बनाते हैं.
कालाष्टमी व्रत पूजा विधि | Kalashtami Vrat Puja Vidhi
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष प्रजापति को दंडित करने के लिए भोलेनाथ काल भैरव के रूप में अवतरित हुए थे. इस माह कालाष्टमी व्रत 23 अप्रैल के दिन सुबह 6 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 24 अप्रैल सुबह 4 बजकर 29 मिनट तक माना जा रहा है, यानी व्रत की शुरुआत 23 अप्रैल की सुबह से ही हो जाएगी. मान्यतानुसार काल भैरव की उपासना रात के समय होती है इसीलिए उनकी पूजा (Kaal Bhairav Puja) भी रात में ही होगी. पूजा का शुभ मुहूर्त रात 01 बजकर 31 मिनट तक माना जा रहा है, वहीं, इस दिन त्रिपुष्कर और सर्वाद्ध सिद्ध योग भी लगने वाला है.
- कालाष्टमी के दिन सुबह निवृत होकर स्नान किया जाता है. पूरे दिन भक्त व्रत का पालन करते हैं और रात के समय मान्यतानुसार पूजा होती है.
- यदि रात के समय आप मंदिर ना जा सकें तो घर पर लकड़ी के पटरे पर शिव-पार्वती (Shiv-Parvati) और काल भैरव की प्रतिमा रखकर पूजा करना भी शुभ माना जाता है.
- काल भैरव को पान, नारियल,काली उड़द, सरसो, धूप और गेरुआ आदि अर्पित की जाती हैं.
- पूजा में चौमुखी दीपक जलाने की मान्यता है और साथ ही, थाली में हल्दी और कुमकुम के साथ आरती की जाती है.
- कालभैरव के मंत्र (Kaal Bhairav Mantra) 'अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त, दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!' का जाप करना भी शुभ माना जाता है.
- पूजा खत्म होने के बाद मान्यतानुसार काले कुत्ते को रोटी खिलाई जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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