Kal Bhairav worship rules and remedies: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी की तिथि अत्यधिक ही शुभ और पुण्यदायी मानी गई है क्योंकि इसी दिन देवों के देव महादेव के क्रोध की अग्नि से भगवान काल भैरव का प्राकट्य हुआ था. सनातन परंपरा में भगवान शिव के अंश कहलाने वाले भैरव की साधना सभी प्रकार के दुख और भय को दूर करने वाली मानी गई है. ऐसे में दंडनायक कहलाने वाले भगवान भैरव को प्रसन्न करने के लिए कैसे करें उनकी पूजा? आइए कालाष्टमी या फिर कहें काल भैरव जयंती की पूजा का महाउपाय के बारे में विस्तार से जानते हैं.

मीठी रोटी का उपाय
हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान काल भैरव का आशीर्वाद पाने के लिए साधक को काल भैरव अष्टमी के दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी या फिर मीठा पुआ खिलाना चाहिए. काल भैरव भगवान की पूजा का यह उपाय रात्रि के समय करना चाहिए. मान्यता है कि इस उपाय को करने से साधक के जीवन में आ रही बाधाएं और शत्रु भय दूर होता है.
दान से भगवान भैरव करेंगे कल्याण
सनातन परंपरा में किसी भी व्रत या देवी-देवता की पूजा में दान का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है. ऐसे में काल भैरव अष्टमी के व्रत या पूजा का पुण्यफल पाने के लिए साधक को इस दिन विशेष रूप से सरसों के तेल, काले तिल, काला नमक, नारियल, काली उड़द, पूजा के लिए प्रयोग में आने वाली धूप आदि का दान करना चाहिए.

नींबू का महाउपाय
भगवान भैरव की पूजा में नींबू को चढ़ाने का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. ऐसे में कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव को नींबू की माला या फिर पांच नींबू चढ़ाएं. मान्यता है कि भगवान भैरव की पूजा के इस उपाय को करने पर व्यक्ति पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं होता है और तमाम तरह के कष्टों से बचा रहता है.
काल भैरव का स्तोत्र
काल भैरव अष्टमी के दिन साधक को भगवान भैरव की पूजा में कालभैरवाष्टकं का विशेष रूप से पाठ करना चाहिए. मान्यता है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ यह स्तोत्र पढ़ने वाले साधक पर शीघ्र ही भगवान भैरव की कृपा बरसती है.

दीये से दूर होंगे सारे दुख
कालभैरव अष्टमी के दिन भगवान भैरव का आशीर्वाद पाने के लिए साधक को किसी भैरव मंदिर में जाकर या फिर अपने घर में भगवान भैरव के चित्र या मूर्ति के सामने सरसों के तेल का चौमुखा दीया जलाना चाहिए. दीये से जुड़ा यह उपाय शाम के समय करना चाहिए तथा उसे जलाते समय अपने मन में "ॐ ह्रीं काल भैरवाय हं फट् स्वाहा" मंत्र का जप करते रहना चाहिए. मान्यता है कि इस उपाय को करने से साधक के सभी कष्ट और कामनाएं पूरी होती हैं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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