Jitiya Vrat 2023: हिंदू धर्म में संतान के लिए कई तरह के व्रत रखे जाते हैं जिनमें से एक है जितिया व्रत. इस व्रत को जीवितपुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat) और जिउतिया पर्व के नाम से भी जाना जाता है. जितिया व्रत नहाय खाय से शुरू होकर सप्तमी, आष्टमी और नवमी तक चलता है. जितिया व्रत मान्यतानुसार मां पुत्र प्राप्ति या पुत्र की लंबी आयु के लिए रखती हैं. यह निर्जला व्रत होता है जिसमें जल भी नहीं पिया जाता है. जितिया व्रत इस साल अक्टूबर के पहले हफ्ते में किस दिन रखा जाएगा और इस व्रत की पूजा कैसे करते हैं जानिए यहां.
जितिया व्रत की तारीख और शुभ मूहूर्त | Jitiya Vrat Date And Shubh Muhurt
इस साल 5 अक्टूबर के दिन नहाय खाय है जिस चलते अगले दिन यानी 6 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन जितिया व्रत रखा जाएगा. इस व्रत का पारण अगले दिन 7 अक्टूबर, सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर किया जाना है. वहीं, कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि इस साल 6 अक्टूबर के दिन जितिया व्रत रखना शुभ नहीं होगा, इसीलिए इस व्रत को 7 अक्टूबर के दिन रखा जाना सही रहेगा.
व्रत की विधिजितिया व्रत के दिन स्नान पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. इस दिन भगवान जीमूतवाहन की पूजा की जाती है. कुशा से बनी जीमूतवाहन भगवान की प्रतिमा के समक्ष धूप-दीप, चावल और पुष्ण अर्पित किए जाते हैं. इसके अतिरिक्त, व्रत में गाय के गोबर और मिट्टी से चील और सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है. पूजा करते हुए इनके माथे पर सिंदूर से टीका लगाते हैं और पूजा समाप्त होने के बाद जितिया व्रत की कथा (Jitiya Vrat Katha) सुनी जाती है.
जितिया व्रत की कथापौराणिक कथाओं के अनुसार जितिया व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी है. इस कथा के अनुसार जब महाभारत के युद्ध के दौरान अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मार दिया था तो श्रीकृष्ण ने अपनी शक्तियों से एकबार फिर उस संतान को जीवित कर दिया. जन्म के बाद इसी पुत्र का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया था. माना जाता है कि इसके बाद से ही जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत को रखने की परंपरा शुरू हुई थी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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