Krishna Janmashtami 2017: जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
हिन्दुओं के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार का बहुत महत्व है. जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. श्रीकृष्ण को धरती पर भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है. हिन्दू कैलेंकर के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के आठवें दिन यानि अष्टमी पर मध्यरात्रि में हुआ था. वैसे तो पूरे भारत में ही जन्माष्टमी का बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है लेकिन भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि वृन्दावन में इस पर्व की अलग ही रौनक देखने को मिलती है. श्रीकृष्ण के जन्म और दुश्मनों पर विजय प्राप्त करने से लेकर कई अन्य कथाएं हैं जो बेहद ही प्रसिद्ध हैं और जिन्हें आज भी पंसद किया जाता है.
यह सुनने के बाद क्रुर कंस ने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को बंदी बना लिया और दोनों कई सालों के लिए कारागार में डाल दिया. इन सालों में कंस ने देवकी द्वारा जन्म दी गई 6 संतानों का वध कर दिया. हालांकि कंस को देवकी की सातवीं संतान के बारे में बताया गया कि उसका गर्भपात हो गया लेकिन वे रहस्यमय ढंग से वृंदावन की राजकुमारी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर चुके थे, जो बड़े होकर भगवान कृष्ण के भाई बलराम बने.
वहीं श्रीकृष्ण के जन्म के वक्त भगवान निर्देशानुसार वासुदेव कृष्ण को नंद और यशोदा के पास वृंदावन ले गए थे. उस दिन बहुत भयानक तूफान और बारिश थी वासुदेव ने श्रीकृष्ण को एक टोकरी में अपने सिर पर रखकर नदी पार की इस दौरान शेषनाग ने श्रीकृष्ण की बारिश से रक्षा की. वासुदेव ने कृष्ण को नंद को सौंप दिया और वहां से एक बच्ची के साथ लौट आए जिसका जन्म भी उसी दिन हुआ था.
इसके बाद जब कंस ने इस बच्ची को मारने की कोशिश की तो यह बच्ची देवी स्वरूप हवा में उड़ गई और फिर से कंस को उसकी मृत्यु को लेकर चेतावनी सुनाई दी. कुछ सालों बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर मथुरावासियों को उसके शासने से मुक्ति दिलाई.
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भगवान को भोग लगने के बाद इसे सभी लोगों में बांटा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि छप्पन भोग में वही व्यंजन होते हैं जो भगवान श्री कृष्ण को पंसद थे. आमतौर पर इसमें अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और अचार जैसी चीजें शामिल होती हैं. इसमें भी भिन्नता होती हैं कई लोग 16 प्रकार की नमकीन, 20 प्रकार की मिठाईयां और 20 प्रकार ड्राई फ्रूट्स चढ़ाते हैं.
सामन्य तौर पर छप्पन भोग में माखन मिश्री, खीर और रसगुल्ला, जलेबी, जीरा लड्डू, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मोहनभोग, चटनी, मुरब्बा, साग, दही, चावल, दाल, कढ़ी, घेवर, चिला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूरी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता और इलाइची होते हैं.
निशिथ पूजा: 12:03 से 12:47
निशिथ चरण के मध्यरात्रि के क्षण है: 12:25 बजे
15 अगस्त पराण: शाम 5:39 के बाद
अष्टमी तिथि समाप्त: 5:39
जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनाएं!
जन्माष्टमी का महत्व
मथुरा में कंस नाम का निर्दयी राजा राज करता था उसकी प्रजा उससे प्रसन्न नहीं थी. कंस की एक छोटी बहन थी जिसका नाम राजकुमारी देवकी था, जिसे वह बहुत प्यार करता था. कंस ने अपनी बहन देवकी की शादी वासुदेव के साथ करा दी, अचानक आकाश से एक भविष्यवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण होगा.Krishna Janmashtami 2017: जन्माष्टमी को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
यह सुनने के बाद क्रुर कंस ने अपनी बहन देवकी और वासुदेव को बंदी बना लिया और दोनों कई सालों के लिए कारागार में डाल दिया. इन सालों में कंस ने देवकी द्वारा जन्म दी गई 6 संतानों का वध कर दिया. हालांकि कंस को देवकी की सातवीं संतान के बारे में बताया गया कि उसका गर्भपात हो गया लेकिन वे रहस्यमय ढंग से वृंदावन की राजकुमारी रोहिणी के गर्भ में स्थानांतरित कर चुके थे, जो बड़े होकर भगवान कृष्ण के भाई बलराम बने.
वहीं श्रीकृष्ण के जन्म के वक्त भगवान निर्देशानुसार वासुदेव कृष्ण को नंद और यशोदा के पास वृंदावन ले गए थे. उस दिन बहुत भयानक तूफान और बारिश थी वासुदेव ने श्रीकृष्ण को एक टोकरी में अपने सिर पर रखकर नदी पार की इस दौरान शेषनाग ने श्रीकृष्ण की बारिश से रक्षा की. वासुदेव ने कृष्ण को नंद को सौंप दिया और वहां से एक बच्ची के साथ लौट आए जिसका जन्म भी उसी दिन हुआ था.
Krishna Janmashtami 2017: श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के आठवें दिन यानि अष्टमी पर मध्यरात्रि में हुआ था.
इसके बाद जब कंस ने इस बच्ची को मारने की कोशिश की तो यह बच्ची देवी स्वरूप हवा में उड़ गई और फिर से कंस को उसकी मृत्यु को लेकर चेतावनी सुनाई दी. कुछ सालों बाद भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध कर मथुरावासियों को उसके शासने से मुक्ति दिलाई.
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जन्माष्टमी व्रत, भोग और पूजा विधि
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के भक्त पूरी विधि-विधान के साथ उपवास करते हैं. वे जन्माष्टमी से एक दिन पहले सिर्फ एक बार ही भोजन करते हैं. व्रत वाले दिन सभी भक्त पूरे दिन का उपवास करने का संकल्प लेते हैं और अगले दिन अष्टमी तिथि खत्म होने के बाद अपना व्रत तोड़ते हैं. जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का दूध, जल और घी से अभिषेक किया जाता है. भगवान को भोग चढ़ाया जाता है. व्रत वाले दिन भक्त अन्न का सेवन नहीं करते इसकी जगह फल और पानी लेते हैं जिसे फलाहार कहा जाता है.श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान को चढ़ाया जाने वाला छप्पन भोग
जन्माष्टमी के मौके पर मंदिरों में अलग ही रौनक देखने को मिलती है. सूर्यास्त के बाद मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है. वहीं जिन लोगों का व्रत होता है वह मध्यरात्रि के बाद अपना उपवास तोड़ते हैं. जन्माष्टमी के अगले दिन को 'नंद उत्सव' के रूप में मनाया जाता है, इस दिन भगवान को 56 तरह के खाद्य पदार्थ चढ़ाएं जाते हैं जिसे छप्पन भोग कहा जाता है.Krishna Janmashtami 2017: श्रीकृष्ण को धरती पर भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है.
भगवान को भोग लगने के बाद इसे सभी लोगों में बांटा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि छप्पन भोग में वही व्यंजन होते हैं जो भगवान श्री कृष्ण को पंसद थे. आमतौर पर इसमें अनाज, फल, ड्राई फ्रूट्स, मिठाई, पेय पदार्थ, नमकीन और अचार जैसी चीजें शामिल होती हैं. इसमें भी भिन्नता होती हैं कई लोग 16 प्रकार की नमकीन, 20 प्रकार की मिठाईयां और 20 प्रकार ड्राई फ्रूट्स चढ़ाते हैं.
सामन्य तौर पर छप्पन भोग में माखन मिश्री, खीर और रसगुल्ला, जलेबी, जीरा लड्डू, रबड़ी, मठरी, मालपुआ, मोहनभोग, चटनी, मुरब्बा, साग, दही, चावल, दाल, कढ़ी, घेवर, चिला, पापड़, मूंग दाल का हलवा, पकोड़ा, खिचड़ी, बैंगन की सब्जी, लौकी की सब्जी, पूरी, बादाम का दूध, टिक्की, काजू, बादाम, पिस्ता और इलाइची होते हैं.
जन्माष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त
स्मार्त संप्रदाय के अनुसार जन्माष्टमी 14 अगस्त को मनाई जाएगी तो वहीं वैष्णव संप्रदाय के 15 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा.जन्माष्टमी 2017
14 अगस्तनिशिथ पूजा: 12:03 से 12:47
निशिथ चरण के मध्यरात्रि के क्षण है: 12:25 बजे
15 अगस्त पराण: शाम 5:39 के बाद
अष्टमी तिथि समाप्त: 5:39
जन्माष्टमी की ढेर सारी शुभकामनाएं!
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