
Jagannath Rath Yatra 2025 : पवित्र धार्मिक यात्राओं में से एक पुरी की जगन्नाथ यात्रा हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू होती है और दशमी तिथि को समाप्त. इस साल 27 जून से शुरू होगी और 5 जुलाई को समाप्त. ऐसी मान्यता है इस यात्रा में शामिल होने और भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा के साथ यात्रा पर निकलने से पहले 14 दिन के एकांतवास पर रहते हैं, फिर शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दर्शन देते हैं.
कब से जाएंगे भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा पर
- इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन यानी 11 जून को सहस्त्रधारा स्नान के बाद अपने भाई बहन के साथ एकांतवास पर रहेंगे.
- आपको बता दें कि यात्रा से पहले 108 घड़ों के जल से स्नान कराया जाता है, जिसे ही सहस्त्रधारा स्नान कहा जाता है.
जगन्नाथ यात्रा के पीछे पौराणिक कथा क्या है
- पद्म पुराण के अनुसार, एक बार आषाढ़ माह के महीने में बहन सुभद्रा ने भगवान जगन्नाथ से शहर देखने की इच्छा जताई थी, जिसके बाद भगवान जगन्नाथ ने 3 रथ बनवाए और फिर अपने भाई और बहन को लेकर नगर भ्रमण पर निकले और अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर में 7 दिन निवास किया. जिसके बाद से ही हर साल इस रथ यात्रा को निकालने की परंपरा शुरू हुई.
- आपको बता दें कि इस यात्रा में सबसे आगे वाला रथ भगवान बलराम का, बीच वाला रथ बहन सुभद्रा और सबसे पीछे वाला भगवान जगन्नाथ का होता है.
जगन्नाथ यात्रा से जुड़ी मान्यताएं
माना जाता है जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुई थी. इसकी शुरुआत के बारे में कई कहानियां और मान्यताएं हैं. कुछ लोग कहते हैं कि यह भगवान कृष्ण की अपनी मां की जन्मभूमि की यात्रा को दर्शाता है. जबकि दूसरों का मानना है कि इसकी शुरुआत राजा इंद्रद्युम्न से हुई थी.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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