लक्ष्मी पूजन की विधि
नई दिल्ली:
हर घर में धन की वृद्धि और कारोबर में बरकत बने रहने के लिए लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि सभी भगवानों को पूजने की विधि या तरीका अलग होता है. सभी को अलग सामग्रियां चढ़ाई जाती हैं सबके लिए अलग मंत्र होता है. आज यहां आपको माता लक्ष्मी को पूजने की पूरी विधि को बता रहे हैं ताकि आपको इनका पूरा आर्शीवाद मिल सके.
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सामग्रियां
लक्ष्मी पूजन के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, कलश, दूध, लक्ष्मी जी की मूर्ति, मूर्ति को पहनाए जाने वाले वस्त्र और आभूषण. इसके अलावा पूजा की थाली में चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती. उनको अर्पित करने के लिए फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचमृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान और पंडित को दी जाने वाली दक्षिणा.
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पूजन की विधि
किसी भी पूजा की शुरुआत सबसे पहले गणेश पूजन से की जाती है. इसीलिए सबसे पहले गणेश जी को स्नान कराएं. उन्हें नए वस्त्र और फूल अर्पित करें. इसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें. माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखें. मूर्ति में माता लक्ष्मी जी का आवाहन करें यानी उन्हें अपने घर बुलाएं. अब लक्ष्मी जी को स्नान कराएं. स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से स्नान कराएं. उन्हें वस्त्र अर्पित करें. वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं. इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं. अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें. इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें. 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें. आरती के बाद परिक्रमा करें. उन्हें भोग लगाएं और पूजन के दौरान 'ऊँ महालक्ष्मयै नमः' मंत्र का जप करते रहें.
अगर आप किसी इच्छा को पूरा कराने के लिए लक्ष्मी पूजन करना चाह रहे हैं तो सामग्रियों और पूजन की विधि समान रखें. लेकिन मूर्ति स्थापना के दौरान इच्छा पूरी होने के बाद में जिस भी दिन माता लक्ष्मी का पूजन करना हो वह तारिख इस प्रकार बोलें. जैसे 27/12/2017 को लक्ष्मी का पूजन किया जाना है. तो इस प्रकार संकल्प लें. (मैं (अपना नाम बोलें) विक्रम संवत् 2072 को पौष मास के सप्तविंशति तिथि को बुधवार के दिन, कृतिका नक्षत्र में, भारत देश के दिल्ली के सुभाष नगर में माता लक्ष्मी मंदिर में इस मनोकामना से (मनोकामना बोलें ) श्री लक्ष्मी का पूजन कर रही/ रहा हूं.
देखें वीडियो - हो रही है भगवान की चोरी
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लक्ष्मी पूजन के लिए तांबे का पात्र, तांबे का लोटा, कलश, दूध, लक्ष्मी जी की मूर्ति, मूर्ति को पहनाए जाने वाले वस्त्र और आभूषण. इसके अलावा पूजा की थाली में चावल, कुमकुम, दीपक, तेल, रुई, धूपबत्ती. उनको अर्पित करने के लिए फल, दूध, मिठाई, नारियल, पंचमृत, सूखे मेवे, शक्कर, पान और पंडित को दी जाने वाली दक्षिणा.
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पूजन की विधि
किसी भी पूजा की शुरुआत सबसे पहले गणेश पूजन से की जाती है. इसीलिए सबसे पहले गणेश जी को स्नान कराएं. उन्हें नए वस्त्र और फूल अर्पित करें. इसके बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करें. माता लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखें. मूर्ति में माता लक्ष्मी जी का आवाहन करें यानी उन्हें अपने घर बुलाएं. अब लक्ष्मी जी को स्नान कराएं. स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से स्नान कराएं. उन्हें वस्त्र अर्पित करें. वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं. इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं. अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें. इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें. 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें. आरती के बाद परिक्रमा करें. उन्हें भोग लगाएं और पूजन के दौरान 'ऊँ महालक्ष्मयै नमः' मंत्र का जप करते रहें.
अगर आप किसी इच्छा को पूरा कराने के लिए लक्ष्मी पूजन करना चाह रहे हैं तो सामग्रियों और पूजन की विधि समान रखें. लेकिन मूर्ति स्थापना के दौरान इच्छा पूरी होने के बाद में जिस भी दिन माता लक्ष्मी का पूजन करना हो वह तारिख इस प्रकार बोलें. जैसे 27/12/2017 को लक्ष्मी का पूजन किया जाना है. तो इस प्रकार संकल्प लें. (मैं (अपना नाम बोलें) विक्रम संवत् 2072 को पौष मास के सप्तविंशति तिथि को बुधवार के दिन, कृतिका नक्षत्र में, भारत देश के दिल्ली के सुभाष नगर में माता लक्ष्मी मंदिर में इस मनोकामना से (मनोकामना बोलें ) श्री लक्ष्मी का पूजन कर रही/ रहा हूं.
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