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Hari Shayani Vrat 2025: कल है हरिशयनी एकादशी, फिर शुरू होंगे चातुर्मास

Hari Shayani Vrat 2025: हरिशयनी एकादशी सनातन धर्म में बेहद अहम मानी जाती है. इसके बाद ही चातुर्मास भी शुरू होगा. जानिए इस पूरी अवधि में क्या क्या होने वाला है खास और शुभ मुहूर्त.

Hari Shayani Vrat 2025: कल है हरिशयनी एकादशी, फिर शुरू होंगे चातुर्मास
Devshayani ekadashi 2025 : वशयनी एकादशी 2025 कल है.

Hari Shayani Vrat 2025: सनातन धर्म में आषाढ़ शुक्ल एकादशी को ही हरिशयनी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है. इस दिन से चातुर्मास व्रत (Chaturmaas Vrat Kab Se Shuru Honge.)  की शुरुआत होती है. जो चार महीने तक चलता है. इस व्रत को भगवान विष्णु (Ekadashi Vrat Kaise Karen) को समर्पित माना जाता है. मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं. इस दौरान सभी शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.


कब है हरिशयनी एकादशी का व्रत (When Is Hari Shayani Vrat)


इस बार हरिशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई, शनिवार को रखा जाएगा. एकादशी तिथि 5 जुलाई को शाम 6:28 बजे से शुरू होकर 6 जुलाई को रात 8:29 बजे तक रहेगी. चातुर्मास व्रत भी 6 जुलाई से शुरू होकर 1 नवंबर की हरिप्रबोधिनी एकादशी तक चलेगा.
माना जाता है कि इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, यज्ञोपवीत जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. इसका महत्व ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी बताया गया है. जहां भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को इसके बारे में समझाया था.

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चातुर्मास व्रत में इन बातों का रखें ध्यान


ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक चातुर्मास के चार महीने व्रतियों को नियमों का पालन करना चाहिए. हर दिन श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा, पुरुषसूक्त और विष्णु मंत्रों का जप करना चाहिए.
इस व्रत में खान-पान का भी विशेष ध्यान रखना होता है. इन चार महीनों में:
•    पत्तेदार सब्जियां और साग नहीं खाने चाहिए.
•    भाद्रपद (भादों) महीने में दही वर्जित है.
•    आश्विन महीने में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए.
•    बैंगन और अन्य विशेष चीजों से भी बचना चाहिए.
व्रतियों को दिन में केवल एक बार भोजन करना चाहिए और जमीन पर सोना चाहिए. यह व्रत संयम और साधना का समय माना जाता है.


विवाह के शुभ मुहूर्त में होगी देरी


भगवान विष्णु जब हरिप्रबोधिनी एकादशी के दिन यानी 1 नवंबर को योगनिद्रा से जागेंगे, तब से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है. लेकिन इस बार विवाह के शुभ मुहूर्त 21 दिन बाद, यानी 22 नवंबर से शुरू होंगे. जानकार बताते हैं कि 1 नवंबर को भगवान विष्णु के जागने के बाद भी विवाह के लिए शुद्ध काल 22 नवंबर से ही उपलब्ध होगा.
22 नवंबर से लेकर 5 दिसंबर तक विवाह के सिर्फ 8 शुभ मुहूर्त ही मिलेंगे. इसके बाद 5 दिसंबर से खरमास लग जाएगा, जिसमें फिर से शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. हालांकि, देवोत्थान एकादशी के बाद गृह प्रवेश, वधू प्रवेश, द्विरागमन जैसे कार्य शुरू हो सकते हैं, लेकिन मुंडन, यज्ञोपवीत और मंदिरों की प्राण-प्रतिष्ठा अब अगले वर्ष 2026 में ही हो पाएगी.


गुरु पूर्णिमा पर बन रहा शुभ योग


इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व 10 जुलाई, गुरुवार को बड़े शुभ योग में मनाया जाएगा. यह पर्व ऐंद्र योग में आएगा. गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के प्रति श्रद्धा, सम्मान और आभार प्रकट किया जाता है. सनातन धर्म में गुरु को भगवान से भी ऊंचा स्थान दिया गया है, क्योंकि गुरु ही शांति, आनंद और मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं.
गुरु पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, श्रीहरि विष्णु का पूजन, विष्णु सहस्त्रनाम और पुरुष सूक्त का पाठ करने से विशेष पुण्य मिलता है. इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु को गंगाजल, शंख जल और पंचामृत से स्नान कराकर विधिवत पूजन करेंगे. घरों में शंख, घंटी, डमरू और करताल की ध्वनि से सुख-समृद्धि का वास होता है.


इस दिन का शुभ मुहूर्त:


•    पूर्णिमा तिथि: 10 जुलाई रात 1:58 बजे तक
•    शुभ योग: सुबह 5:07 बजे से 6:49 बजे तक
•    चर-लाभ-अमृत योग: सुबह 10:13 बजे से शाम 3:19 बजे तक
•    अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:28 बजे से 12:22 बजे तक
इस तरह आने वाले दिन धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माने जा रहे हैं, जहां संयम, भक्ति और व्रत का बड़ा महत्व रहेगा.

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