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This Article is From Mar 29, 2021

Happy Holi 2021: आज है होली, जानिए क्यों और कैसे मनाया जाता है रंगों का यह खास पर्व

Holi 2021: देशभर में आज भारत के प्रमुख त्योहारों में शुमार होली का त्योहार मनाया जा रहा है.

Happy Holi 2021: आज है होली, जानिए क्यों और कैसे मनाया जाता है रंगों का यह खास पर्व
Happy Holi 2021: आज होली का त्योहार मनाया जा रहा है.
नई दिल्ली:

Happy Holi 2021: देशभर में आज भारत के प्रमुख त्योहारों में शुमार होली का त्योहार मनाया जा रहा है. हिन्‍दू पंचांग के अनुसार, फाल्‍गुन महीने की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है और आज 29 मार्च को रंगों वाली होली खेली जा रही है. वहीं बीते दिन 28 मार्च को होलिका दहन किया गया था. रंगों का त्‍योहार होली बुराई पर अच्‍छाई की जीत का प्रतीक है. देश के कई हिस्‍सों में होली के त्‍योहार की शुरुआत बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही हो जाती है. मथुरा, वृंदावन, गोवर्द्धन, गोकुल, नंदगांव और बरसाना की होली तो बेहद मशहूर हैं. इनमें भी बरसाना की लट्ठमार होली का आनंद तो देखते ही बनता है.

क्‍यों मनाई जाती है होली?
होली मनाए जाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है. इस कथा के मुताबिक, प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षसों के राजा हिरण्यकश्यप ने तपस्या करके ब्रह्मा से वरदान पा लिया कि संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य उसे न मार सके. न ही वह रात में मरे, न दिन में, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न घर में, न बाहर. यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे न मार पाए. ऐसा वरदान पाकर वह अत्यंत निरंकुश बन बैठा. हिरण्यकश्यप के एक बेटा हुआ, जिसका नाम उसने  प्रह्लाद रखा. प्रह्लाद अपने पिता के विपरीत परमात्मा में अटूट विश्वास करने वाला था. प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि थी.

हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे. प्रह्लाद के न मानने पर हिरण्यकश्यप उसे जान से मारने पर उतारू हो गया. उसने प्रह्लाद को मारने के अनेक उपाय किए लेकिन व प्रभु-कृपा से बचता रहा. हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था. हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रह्लादद को आग में जलाकर मारने षड्यंत्र रचा.

होलिका बालक प्रह्लाद को गोद में उठाकर धूं-धू करती आग में जा बैठी. प्रभु-कृपा से प्रह्लाद को आंच भी नहीं आई और होलिका जल कर वहीं भस्म हो गई. इस प्रकार प्रह्लाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई. इसके बाद हिरण्यकश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु नरंसिंह अवतार में खंभे से निकल कर गोधूली समय अवतरित हुए.  उन्‍होंने दरवाजे की चौखट पर बैठकर अत्याचारी हिरण्यकश्यप को मार डाला. कहते हैं कि तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा.

होली का महत्‍व 
हिन्‍दुओं के लिए होली का विशेष महत्‍व है. वैसे न सिर्फ हिन्‍दू बल्‍कि दूसरे धर्म को मानने वाले लोग भी होली की मस्‍ती में डूब जाते हैं और जमकर इस त्‍योहार का जश्‍न मनाते हैं. उत्साह, उमंग और उल्लास के साथ भाईचारे के रंग बिखेरने वाला यह पर्व भारतीय संस्‍कृति का अभिन्‍न हिस्‍सा है. बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार होली से एक दिन पहले जगह-जगह होलिका का दहन किया जाता है और रंग गुलाल उड़ाकर खुशियां बांटी जाती हैं. होलिका दहन के अगले दिन हर गली-मोहल्‍ले में रंगों का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है. यह त्‍योहार बताता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्‍यों न हो वो अच्‍छाई के सामने टिक ही नहीं सकती.

होली कैसे मनाते हैं?
कई जगहों पर बसंत पंचमी के साथ ही होली के त्‍योहार की शुरआत हो जाती है, लेकिन मुख्‍य रूप से यह त्‍योहार दो दिन का होता है. पहले दिन होलिका दहन किया जाता है, जबकि इसके अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है. इस त्‍योहार के पहले दिन को जलाने वाली होली, छोटी होली या होलिका दहन के नाम से जाना जाता है. इस दिन हर चौराहे और गली-मोहल्ले में गूलरी, कंडों व लकड़ियों से बड़ी-बड़ी होली सजाई जाती है. इसके बाद होलिका की पूजा की जाती है और उसकी परिक्रमा करने के बाद उसमें आग लगा दी जाती है. इस दौरान लोग गीत गाते हैं और नाचते हैं. होलिका दहन के बाद एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाने की परंपरा भी है. जहां, छोटे अपने से बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं वहीं बड़े अपने अनुजों को सफल भविष्‍य, अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य व लंबी उम्र की कामना करते हैं.

होलिका दहन के अगले दिन होली का मुख्‍य त्‍योहार मनाया जाता है, जिसे रंगों वाली होली कहते हैं. इस दिन लोग सफेद रंग के कपड़े पहनकर एक-दूसरे को अबीर-गुलाल का टीका लगाते हैं. छोटे बच्‍चे पिचकारी, गुब्‍बारों और पानी से होली खेलते हैं. पूरा घर-मोहल्‍ला, गुझिया, चाट-पकौड़ी और ठंडाई की खुश्‍बू से महक उठता है. इस दौरान लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और साथ में होली खेलते हैं.


कहते हैं कि रंगों के इस त्‍योहार पर दुश्‍मन भी गले मिल जाते हैं. होली के दिन लोग संगीत की थाप पर खूब नाचते हैं. होलियारों की टोली जब गली-मोहल्‍लों से निकलती है तो पूरा माहौल देखने लायक होता है. होली खेलने के बाद लोग नहाते हैं और कुछ देर आराम रने के बाद शाम के समय फिर मिलने-मिलाने का सिलस‍िला चल पड़ता है. लोग एक-दूसरे के घर गुझिया लेकर जाते हैं और एक बार फिर होली की शुभकामनाएं देते हैं.  

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