उत्तर प्रदेश के बरेली के एक गांव के बारे में कहा जाता है कि वह महाभारतकालीन है। इस गांव का नाम है नरियावल। यहां स्थित मां शीतला देवी के मंदिर की बात और भी अनोखी है।
परंपरा के अनुसार, मां शीतला देवी को साल में दो बार बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। प्रथा के अनुसार, यहां भी होली के बाद और आषाढ़ महीने में देवी माता को बासी भोजन चढ़ाया जाता है।
शीतला माता: स्मॉल पॉक्स की देवी
इस मंदिर की एक और ख़ास बात यह है कि यहां केवल हिन्दू ही पूजा नहीं करते हैं, बल्कि देवी मां की कृपा पाने के लिए यहां पर रोजाना सैकड़ों मुसलमान भी आते हैं। लोगों का मानना है कि देवी मां बच्चों को नीरोग रखती हैं।
गौतरलब है कि पौराणिक ग्रंथों में शीतला माता चेचक यानी स्मॉल पॉक्स की देवी के रूप में वर्णित हैं, जो हाथ में झाड़ू लिए गर्दभ (गधा) पर सवार दिखाई गईं हैं। लोगों की मान्यता है कि देवी मां शारीरिक व्याधि, रोग, दोष आदि नष्ट करती हैं और श्रद्धालुओं को सौभाग्य देती हैं।
कुएं का पूजन भी होता है यहां
इस मंदिर की एक और अनूठी परंपरा है, देवी शीतला के पूजन के साथ-साथ यहां स्थित एक प्राचीन कुएं का पूजन। यह कुआं कितना प्राचीन है, यह कोई नहीं जानता।
लोगों की मान्यता है कि देवी शीतला कुएं में भी निवास करती हैं। मान्यताएं जो भी हो, इस परंपरा को अनेक लोग जल संरक्षण की जागरूकता के लिहाज से काफी अच्छा मानते हैं।
परंपरा के अनुसार, मां शीतला देवी को साल में दो बार बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। प्रथा के अनुसार, यहां भी होली के बाद और आषाढ़ महीने में देवी माता को बासी भोजन चढ़ाया जाता है।
शीतला माता: स्मॉल पॉक्स की देवी
इस मंदिर की एक और ख़ास बात यह है कि यहां केवल हिन्दू ही पूजा नहीं करते हैं, बल्कि देवी मां की कृपा पाने के लिए यहां पर रोजाना सैकड़ों मुसलमान भी आते हैं। लोगों का मानना है कि देवी मां बच्चों को नीरोग रखती हैं।
गौतरलब है कि पौराणिक ग्रंथों में शीतला माता चेचक यानी स्मॉल पॉक्स की देवी के रूप में वर्णित हैं, जो हाथ में झाड़ू लिए गर्दभ (गधा) पर सवार दिखाई गईं हैं। लोगों की मान्यता है कि देवी मां शारीरिक व्याधि, रोग, दोष आदि नष्ट करती हैं और श्रद्धालुओं को सौभाग्य देती हैं।
कुएं का पूजन भी होता है यहां
इस मंदिर की एक और अनूठी परंपरा है, देवी शीतला के पूजन के साथ-साथ यहां स्थित एक प्राचीन कुएं का पूजन। यह कुआं कितना प्राचीन है, यह कोई नहीं जानता।
लोगों की मान्यता है कि देवी शीतला कुएं में भी निवास करती हैं। मान्यताएं जो भी हो, इस परंपरा को अनेक लोग जल संरक्षण की जागरूकता के लिहाज से काफी अच्छा मानते हैं।
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