फाईल फोटो
गंगासागर:
मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार, मकर संक्रांति के मौके पर पूरी दुनिया से हिन्दू श्रद्धालु और पर्यटक गंगासागर पहुंच रहे हैं, ताकि यहां सागर में डुबकी लगाकर पुण्य कमा सकें। एक अनुमान के मुताबिक अभी तक लगभग आठ लाख श्रद्धालु पहुंचे हैं और हजारों अभी पहुंचने वाले हैं।
श्रद्धालुओं और पर्यटकों की तादाद अपने आप में एक जनसमुद्र का रूप पेश कर रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि अब इस सागरद्वीप में पांव रखने को जगह नहीं बची है, लेकिन आनेवाले लोग आते ही इसी भीड़ में दुग्धनीरवत मिलते जाते हैं।
मूड़ीगंगा में फंसे हैं हजारों लोग
गंगासागर द्वीप के सभी प्रवेश मार्गों पर मोटरबोट पकड़ने के लिए अभी भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई है। लेकिन मूड़ीगंगा में पानी लेवल कम होने के कारण मोटरबोट कम चलाए जा रहे है। इस कारण से हजारों की तादाद में श्रद्धालु वहां फंसे हुए हैं।
गंगासागर मेला प्रशासन और पश्चिम बंगाल सरकार ने मेले की सुरक्षा व्यवस्था पर पर्याप्त ध्यान देने का प्रयास किया है और सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पूरे मेले पर निगाह रखने के लिए आसमान में ड्रोन की उड़ानें शुरु हो गई हैं। सागरतट पर स्थित प्रख्यात कपिल मुनि मंदिर पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।
15 जन. को सुबह 7.34 बजे से शुरू होगा स्नान
कपिल मुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास के अनुसार, पुण्य-स्नान का समय 15 जनवरी को सुबह 7.34 बजे से शुरू होगा, जो अगले 16 घंटों तक चलेगा। उन्होंने कहा कि पुण्य-स्नान के समय से आठ घंटे पहले से भी स्नान शुरू किया जा सकता है। उन्होंने यह अनुमान व्यक्त किया कि इस साल दस लाख से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंच सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि गंगासागर मेला भारत के सबसे बड़े मेलों में से एक है। इसका आयोजन पश्चिम बंगाल में कोलकाता के निकट उस स्थान पर किया जाता है जहां गंगा नदी, बंगोप सागर (बंगाल की खाड़ी) में मिलती है। यही कारण है कि इस मेले का नाम गंगासागर मेला है। यह हर साल मकर संक्रांति के दिन आयोजित होता है।
श्रद्धालुओं और पर्यटकों की तादाद अपने आप में एक जनसमुद्र का रूप पेश कर रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि अब इस सागरद्वीप में पांव रखने को जगह नहीं बची है, लेकिन आनेवाले लोग आते ही इसी भीड़ में दुग्धनीरवत मिलते जाते हैं।
मूड़ीगंगा में फंसे हैं हजारों लोग
गंगासागर द्वीप के सभी प्रवेश मार्गों पर मोटरबोट पकड़ने के लिए अभी भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई है। लेकिन मूड़ीगंगा में पानी लेवल कम होने के कारण मोटरबोट कम चलाए जा रहे है। इस कारण से हजारों की तादाद में श्रद्धालु वहां फंसे हुए हैं।
गंगासागर मेला प्रशासन और पश्चिम बंगाल सरकार ने मेले की सुरक्षा व्यवस्था पर पर्याप्त ध्यान देने का प्रयास किया है और सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। पूरे मेले पर निगाह रखने के लिए आसमान में ड्रोन की उड़ानें शुरु हो गई हैं। सागरतट पर स्थित प्रख्यात कपिल मुनि मंदिर पर विशेष निगरानी रखी जा रही है।
15 जन. को सुबह 7.34 बजे से शुरू होगा स्नान
कपिल मुनि मंदिर के महंत ज्ञानदास के अनुसार, पुण्य-स्नान का समय 15 जनवरी को सुबह 7.34 बजे से शुरू होगा, जो अगले 16 घंटों तक चलेगा। उन्होंने कहा कि पुण्य-स्नान के समय से आठ घंटे पहले से भी स्नान शुरू किया जा सकता है। उन्होंने यह अनुमान व्यक्त किया कि इस साल दस लाख से अधिक श्रद्धालु यहां पहुंच सकते हैं।
उल्लेखनीय है कि गंगासागर मेला भारत के सबसे बड़े मेलों में से एक है। इसका आयोजन पश्चिम बंगाल में कोलकाता के निकट उस स्थान पर किया जाता है जहां गंगा नदी, बंगोप सागर (बंगाल की खाड़ी) में मिलती है। यही कारण है कि इस मेले का नाम गंगासागर मेला है। यह हर साल मकर संक्रांति के दिन आयोजित होता है।
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