Ganga Saptami 2021: आज 18 मई को गंगा सप्तमी है. हिंदु धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी माना है, जो मानव के हर पाप को धो सकती है. गंगा सप्तमी इन्हीं देवी गंगा को समर्पित एक पर्व है. इस दिन को गंगा पूजन या गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन ही परमपिता ब्रह्मा के कमंडल से पहली बार गंगा अवतरित हुई थीं
गंगा सप्तमी का महत्व
हिन्दू मान्यताओं के अनुसार वैशाख मास की सप्तमी को ही गंगा स्वर्ग से उतरकर भगवान शिव की जटाओं में आई थीं. कहा जाता है कि स्वर्ग से उतरकर शिव की जटाओं में समाने का कारण यह था कि पृथ्वी उनका तेज वेग नहीं सह सकती थी. इसलिए उन्होंने पहले शिव की जटाओं में अपना स्थान बनाया. इसके बाद शिव ने गंगा को धरती पर छोड़ा. इसलिए ही इस दिन को गंगा जयंती या गंगा जन्मोत्सव भी कहा जाता है.
गंगा सप्तमी के दिन क्या करें?
गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान, तप ध्यान और दान-पुण्य करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इस दिन पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से भक्तों के सारे पापों का नाश होता है. लेकिन इस बार कोरोनावायरस के चलते गंगा नदी में स्नान करना संभव नहीं है.
गंगा सप्तमी की पौराणिक कथा
पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार कपिल मुनि के श्राप से सूर्यवंशी राजा सगर के 60 हज़ार पुत्र जल कर भस्म हो गए थे. ऐसे में उनके वंश के उद्धार के लिए राजा सगर के वंशज भगीरथ ने घोर तपस्या की. क्योंकि वे जानते थे कि गंगा के छूने से ही राजा सगर के 60 पुत्रों का उद्धार होगा. भगीरथ की तपस्या से गंगा प्रसन्न तो हो गईं, लेकिन उनका पृथ्वी पर आना अब भी संभव नहीं था. क्योंकि गंगा का वेग धरती सह नहीं पाती. इसके बाद भगीरथ ने शिव की आराधना की थी.
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