मिलाद उन नबी एक ऐसा त्योहार है जो इस्लाम को मानने वाले के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इस्लामिक कैलेंडर के तीसरे महीने रबी अल अव्वल की शुरुआत हो चुकी है. इस माह की 12 तारीख को अंतिम पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्म हुआ था. जाहिर है कि पैगम्बर हजरत मोहम्मद पूरी दुनिया में बसे मुसलमानों के लिए श्रद्धा का केन्द्र हैं, लिहाजा उनके जन्म का दिन मिलाद उन नबी भी इस्लाम को मानने वालों के लिए बेहद खास है. दुनियाभर, खासकर भारतीय उपमहाद्वीप में यह दिन बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस दिन को ही ईद मिलाद उन नबी या फिर बारावफात कहा जाता है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक इस साल यानि 2021 को ये पैगंबर हजरत का जन्मदिन 19 अक्टूबर को पड़ेगा.
इतिहास
मक्का में जन्म लेने वाले पैगंबर मोहम्मद साहब का पूरा नाम पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम था. उनकी माताजी का नाम अमीना बीबी और पिताजी का नाम अब्दुल्लाह था. वे पैगंबर हजरत मोहम्मद ही थे जिन्हें अल्लाह ने सबसे पहले पवित्र कुरान अता की थी. इसके बाद ही पैगंबर साहब ने पवित्र कुरान का संदेश जन-जन तक पहुंचाया. हजरत मोहम्मद का उपदेश था कि मानवता को मानने वाला ही महान होता है.
क्या है महत्व
पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिन अथवा जन्म उत्सव को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के रूप में मनाया जाता है. ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर रातभर के लिए प्रार्थनाएं होती हैं और जुलूस भी निकाले जाते हैं. इस दिन इस्लाम को मानने वाले हजरत मोहम्मद के पवित्र वचनों को पढ़ा करते हैं. लोग मस्जिदों व घरों में पवित्र कुरान को पढ़ते हैं और नबी के बताए नेकी के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं. पैगंबर हजरत मोहम्मद के जन्मदिवस पर घरों को तो सजाया ही जाता है, इसके साथ ही मस्जिदों में खास सजावट होती है. उनके संदेशों को पढ़ने के साथ-साथ गरीबों में दान देने की प्रथा है. दान या जकात इस्लाम में बेहद अहम माना जाता है. मान्यता है कि जरूरतमंद व निर्धन लोगों की मदद करने से अल्लाह प्रसन्न होते हैं.
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