Vijaydashmi 2020: दशहरा (Dussehra, Dusshera) या विजयदशमी (Vijaydashmi) हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है. यह असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. आज विजयदशमी का त्योहार पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता रहा. कोरोना वायरस के कारण भले ही लोग बाहर नहीं निकल सकते, लेकिन वह घर पर रहकर इस त्योहार का आनंद ले रहे हैं.
बता दें, आज के दिन रावण के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव मनाते हुए रावण के पुतले जलाए जाते हैं. रावण के पुतले के साथ ही उनके भाई कुंभकरण और बेटे मेघनाद के भी पुतले जलाए जाते हैं. वहीं कम ही लोग जानते हैं रावण की मृत्यु के बाद उनकी कितनी पत्नियां विधवा हुई और कितने बच्चों के सिर से पिता का साया चला गया. आइए जानते हैं रावण के परिवार में कौन- कौन था.
रावण के दादा-दादी
रावण के दादा ब्रह्मा के पुत्र महर्षि पुलस्त्य थे और दादी का नाम हविर्भुवा था.
रावण के नाना-नानी
रावण के नाना का नाम सुमाली था और नानी का नाम ताड़का था.
रावण के माता-पिता
रावण के पिता का नाम ऋषि विश्वश्रवा और माता का नाम कैकसी था. कैकसी विश्वश्रवा की दूसरी पत्नी थीं. इससे पहले उनकी शादी इलाविडा थी, जिनसे रावण से पहले कुबेर का जन्म हुआ.
रावण के भाई-बहन
रावण के 8 भाई-बहन थे. रावण के सगे भाई-बहन - विभीषण, कुंभकरण, अहिरावण, खर, दूषण और दो बहनें सूर्पनखा और कुम्भिनी थीं. रावण के सौतेले भाई - कुबेर (जो कि रावण से बड़े थे)
रावण की तीन पत्नियां
रावण की पहली पत्नी मंदोदरी, दूसरी पत्नी धन्यमालिनी और तीसरी पत्नी का नाम किसी को मालूम नहीं है. मंदोदरी राजा मायासुर और अप्सरा हेमी की पुत्री थीं.
रावण के 7 पुत्र
प्रचलित कथाओं के मुताबिक रावण के सात पुत्र थे जिनमें से पहली पत्नी से मेघनाद (इंद्रजीत) और अक्षय कुमार. दूसरी पत्नी से त्रिशिरा और अतिकाय. तीसरी पत्नी से एक पुत्र प्रहस्था था.
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