Ganesh Chaturthi 2017: शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं
चांद्र मास पर आधारित हिन्दू पंचांग में हर महीने में दो चतुर्थी होती है, एक शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में. धर्मग्रंथों के विधान के अनुसार, अमावस्या के बाद आने वाली शुक्लपक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्णपक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. हिन्दू धर्मग्रन्थों और पुराणों के अनुसार ये दोनों चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. जो लोग भगवान गणेश को अपना इष्टदेव मानते हैं, वे इस दिन उनकी विधि-विधान से व्रत रख आकर उनकी उपासना करते हैं. भगवान गणेश को हिन्दू धर्म में अग्रपूज्य आदिदेव कहते हैं.
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हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, हर महीने विनायाक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता श्रीगणेश की पूजा-अर्चना और व्रत करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर होते है. विनायक चतुर्थी व्रत वे लोग करते हैं, जो ऋद्धि-सिद्धि (धन, विद्या, निपुणता आदि) के अभिलाषी होते हैं, जबकि संकष्टी चतुर्थी जीवन की बाधाओं का शमन (समाप्त) करने के उद्देश्य से किया जाता है. मान्यता के अनुसार इन दोनों तिथियों को श्रद्धालु रात में चन्द्रमा के उदय होने बाद उसे दूध और जल से अर्घ्य देकर और फूल, फल, मिष्टान्न आदि अर्पित कर के ही अपना उपवास तोड़ते हैं.
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इस प्रकार विनायक चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी का व्रत तो हर महीने में होता है, लेकिन गणेश चतुर्थी केवल भादों के महीने की चतुर्थी तिथि को कहते हैं. मान्यता है कि इस दिन भगवान श्रीगणेश का जन्म हुआ था यानी गणेश चतुर्थी उनके जन्मदिन का महोत्सव है. यह महोत्सव पश्चिम भारत, विशेष कर महाराष्ट्र, में उल्लेखनीय ढंग से सेलेब्रेट किया जाता है.
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