छोटी दिवाली के दिन क्यों की जाती है यमराज की पूजा? जानिए यहां
नई दिल्ली:
आज छोटी दिवाली (Choti Diwali) है. आज की रात घर के बाहर यम की पूजा (Yam Ki Puja) करने की मान्यता है. छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi), यम चतुर्दशी (Yam Chaturdashi), रूप चतुर्दशी (Roop Chatirdashi) या रूप चौदस (Roop Chaudas) के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन सबसे खास है छोटी दीपावली की रात घर के बाहर दीपक जलाकर रखना. यहां जानिए आखिर क्यों दिवाली जैसे शुभ मौके पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा की जाती और क्यों उनके नाम का दीया जलाया जाता है.
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क्यों की जाती है यम की पूजा?
इस दीप जलाने से जुड़े दो पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं :
पहली - दिवाली अमावस्या की रात को पड़ती है. अमावस्या तिथि के स्वामी यमराज और पितर देवता होते हैं. अमावस्या की रात चांद नहीं निलकता. मान्यता है कि श्राद्ध महीने में आए हुए पितर इसी अमावस्या को चंद्रलोक जाते हैं. वह चांद ना निकलने की वजह से भटके नहीं, इसीलिए एक बड़ा दीपक जलाया जाता है.
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दूसरी - एक और प्रचलित कथा के अनुसार रंति देव नाम से एर धर्मात्मा राजा थे. उन्होंने कभी कोई पाप नहीं किया, लेकिन फिर भी मृत्यु के दौरान उन्हें नरक लोक ले जाने यमदूत आए. उन्हें देख राजा बोले कि मैंने कभी कोई पाप नहीं किया, फिर भी मुझे आप लेने क्यों आए हैं? आपके यहां आने का मतलब मुझे नरक जाना होगा. यह बात सुन यमदूत ने जवाब दिया कि 'हे राजन! एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप कर्म का फल है.'
इस बात को सुन राजा ने एक वर्ष का समय मांगा और ऋषियों के पास अपनी इस समस्या को लेकर पहुंचे. तब ऋषियों ने उन्हें कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रखने और ब्राह्मणों को भोजन कराकर माफी मांगने को कहा. साल बाद यमदूत राजा को फिर लेने आए, इस बार उन्हें नरक के बजाय विष्णु लोक ले गए. तब से कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष को दीप जलाने की परंपरा शुरू हुई. ताकी अनजाने में हुए पाप को भी क्षमादान मिल सके.
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यम के नाम या दीया या दीपदान का शुभ मुहूर्त
दीपदान का मुहूर्त: 06 नवंबर 2018 को शाम 06 बजे से शाम 07 बजे तक.
नरक चतुर्दशी के दिन कैसे जलाएं दीया?
कार्तिक चतुर्दशी की रात यम का दीया जलया जाता है. इस दिन यम के नाम का दीया कुछ इस तरह जलाना चाहिए:
- घर के सबसे बड़े सदस्य को यम के नाम का एक बड़ा दीया जलाना चाहिए.
- इसके बाद इस दीये को पूरे घर में घुमाएं.
- अब घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं.
- घर के दूसरे सदस्य घर के अंदर ही रहें और इस दीपक को न देखें.
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पहली - दिवाली अमावस्या की रात को पड़ती है. अमावस्या तिथि के स्वामी यमराज और पितर देवता होते हैं. अमावस्या की रात चांद नहीं निलकता. मान्यता है कि श्राद्ध महीने में आए हुए पितर इसी अमावस्या को चंद्रलोक जाते हैं. वह चांद ना निकलने की वजह से भटके नहीं, इसीलिए एक बड़ा दीपक जलाया जाता है.
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- घर के सबसे बड़े सदस्य को यम के नाम का एक बड़ा दीया जलाना चाहिए.
- इसके बाद इस दीये को पूरे घर में घुमाएं.
- अब घर से बाहर जाकर दूर इस दीये को रख आएं.
- घर के दूसरे सदस्य घर के अंदर ही रहें और इस दीपक को न देखें.
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