सबरीमाला (Sabarimala) का दो महीनों का त्योहार रविवार तड़के औपचारिक रूप से शुरू हो गया. हजारों श्रद्धालु अयप्पा (Ayappa) के दर्शन के लिए लंबी कतारों में लग गए हैं. पुलिस के अनुसार, राज्य तथा अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों से लगभग 50,000 श्रद्धालु शहर में पहुंच चुके हैं.
रविवार सुबह श्रद्धालुओं को दर्शन करने के लिए कतारों में खड़े होकर तीन घंटों तक इंतजार करना पड़ा. पिछले साल के विपरीत इस साल शहर में संवेदनशील स्थानों पर लगभग 2,500 पुलिस बल तैनात है, जिससे स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है.
सबरीमला नगर तीन महत्वपूर्ण स्थानों से मिलकर बना है, जिसमें निलाकल आधार शिविर है, जहां सभी श्रद्धालुओं को इकट्ठे होकर सरकारी गाड़ियों से लगभग 24 किलोमीटर दूर पंबा आधार शिविर के लिए जाना होता है. यहां श्रद्धालुओं को निजी वाहन से जाने की अनुमति नहीं है.
पंबा आधार शिविर से, सन्निधानम नाम की पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर के लिए लगभग चार किलोमीटर लंबा पैदल मार्ग है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, रविवार सुबह आठ बजे तक लगभग 816 बसें तीर्थयात्रियों को निलाकल से पंबा ला चुकी थीं.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 28 सितंबर, 2018 के अपने आदेश पर पिछले सप्ताह रोक नहीं लगाने के बावजूद शनिवार को विजयवाड़ा के एक बड़े समूह में आईं प्रतिबंधित आयुवर्ग (10-50 साल) की तीन महिलाओं को पुलिस ने रोक दिया. मंदिर की मान्यताओं के अनुसार, इस आयुवर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिबंध है.
केरल पुलिस सभी श्रद्धालुओं और 10 से 50 साल उम्र के बीच की महिलाओं पर कड़ी नजर बनाए हुए है. उन्हें बता दिया गया है कि उन्हें पंबा आधार शिविर तक ही जाने की अनुमति है.
पिछले साल के विपरीत केरल सरकार ने अपना रुख स्पष्ट कर लिया है कि वह यह देखने का प्रयास नहीं करेगी कि महिलाओं को प्रार्थना करने के लिए मंदिर में ले जाया गया. देवासमों के लिए राज्यमंत्री कडकंपल्ली सुरेंद्रन आगे गए और कहा कि मंदिर में प्रार्थना करने के लिए इच्छुक महिलाएं मंदिर में प्रवेश करने के लिए अदालत का आदेश प्राप्त कर सकती हैं.
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