सोमवती अमावस्या के अवसर पर पवित्र गंगा में डुबकी लगाने के लिए हजारों श्रद्धालु सोमवार सुबह-सुबह हरिद्वार में एकत्र हुए. इस दिन को हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है जिसमें स्नान, दान, पूर्वजों के लिए श्राद्ध, तर्पण और पीपल के पेड़ की प्रार्थना जैसे अनुष्ठान होते हैं. देश के विभिन्न हिस्सों से तीर्थयात्री इन पवित्र प्रथाओं को करने के लिए घाटों पर एकत्र हुए, इस विश्वास से प्रेरित होकर कि इस तरह के कृत्य आशीर्वाद, समृद्धि और दैवीय कृपा लाते हैं.
ANI से बात करते हुए, दिल्ली के एक भक्त राजेश ने कहा, "यह आस्था का त्योहार है. शास्त्र हमें बताते हैं कि द्वापर युग के दौरान सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) नहीं होती थी जिसके कारण युधिष्ठिर ने मां गंगा को कलयुग में अधिक बार प्रकट होने का श्राप दिया था ताकि में मानवता को अपना आशीर्वाद दे सकें."
"स्नान करने से एक पवित्र अनुभूति होती है और उस भावना को शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं है. वातावरण उत्साहजनक लगता है. इतनी कड़ाके की ठंड में पैर रखने की जगह नहीं है. हमारे अंदर शायद हमारी मान्यताएं हैं, हमारे ग्रंथ हैं और लोगों का विश्वास है." राजेश ने ANI को बताया.
एक अन्य भक्त मधुसूदन ने अपना अनुभव व्यक्त करते हुए कहा, "मैंने पहली बार गंगा आरती में भाग लिया और असीम शांति का अनुभव किया. ठंड के बावजूद, आध्यात्मिक वातावरण सब कुछ सार्थक बनाता है. मैंने लोगों की सुरक्षा और देश खुशी के लिए प्रार्थना की." उन्होंने आगे कहा, "मैं गंगा आरती में भी शामिल हुआ".
अंकित सैनी ने भीड़ के बीच मजबूत आस्था पर जोर देते हुए कहा, "लोगों ने सोमवती अमावस्या पर स्नान करने के लिए लंबी दूरी तय की है. हर कोई राष्ट्रीय शांति और खुशी के लिए प्रार्थना कर रहा है. पुलिस समर्थन और स्थानीय लोगों की मदद सहित व्यवस्थाएं उत्कृष्ट रही हैं."
अपने परिवार के साथ उपस्थित रहीं मंजू नागपाल ने कहा, "आज गंगा में स्नान करना विशेष लगता है. मैं और मेरा परिवार मां गंगा के प्रति गहरी भक्ति और श्रद्धा की भावना महसूस करते हैं. यह हम सभी के लिए एक संतुष्टिदायक अनुभव रहा है."
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं