Mandir Parikrama: भक्त जब कभी भी मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं तो परिक्रमा (Parikrama) जरूर करते हैं. हिंदू धर्म में मंदिर की परिक्रमा (Mandir Parikrama) का खास महत्व बताया गया है. पौराणिक ग्रथ ऋगवेद (Rigveda) में भी प्रदक्षिणा (Pradakshina) यानि परिक्रमा का उल्लेख किया गया है. परिक्रमा को पूजा का एक अहम अंग माना जाता है. इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि इससे पाप कट जाते हैं. परिक्रमा केवल देवी-देवताओं की ही नहीं, बल्कि तुलसी, पीपल, बरगद की भी की जाती है. इसके अलावा नर्मदा नदी, गंगा और यज्ञ की वेदी की परिक्रमा भी की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक जानते हैं परिक्रमा करने की सही विधि और किन देवताओं की कितनी बार परिक्रमा करनी चाहिए.
परिक्रमा करने की सही विधि और फायदे | Correct method and benefits of Parikrama
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक मंदिर, भगवान और नदी की परिक्रमा करने से शरीर और मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. ये ऊर्जा हमारे साथ घर तक जाती है. जिससे घर में भी सुख-शांति का बनी रहती है.
मान्यता है कि मंदिर में परिक्रमा हमेशा क्लॉक वाइज यानि घड़ी की सूई की दिशा में करनी चाहिए. सामान्य तौर पर इसे ऐसे समझ सकते हैं कि किसी को भी भगवान के दाहिने हाथ की तरफ से परिक्रमा शुरू करनी चाहिए.
भगवान की परिक्रमा के दौरान ईष्ट देव के मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता है. इसके अलावा 'यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च, तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे' इस मंत्र का भी जाप किया जा सकता है. इस मंत्र का भावार्थ है- 'हमारे द्वारा जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्म प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाएं. साथ ही परम पिता परमेश्वर सद्बुद्धि प्रदान करें.'
किन देवताओं की कितनी बार की जाती हैं परिक्रमा | Which gods are circumambulated how many times
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की पांच, गणेश जी की 4, मां दुर्गा की एक, सूर्य देव की 7 और भगवान शिव की आधी प्रदक्षिणा की जाती है. शिवजी की सिर्फ आधी परिक्रमा की जाती है. इसके पीछे धार्मिक मान्यता यह है कि जलधारी का उलंघन नहीं किया जाता है. दरअसल जलधारी तक पहुंचकर परिक्रमा पूर्ण मान ली जाती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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