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छिन्नमस्ता जयंती तिथि पर बन रहा है शुभ योग, यहां जानिए कैसे करें पूजा अर्चना और देवी को प्रसन्न

Chhinnamasta Jayanti auspicious yog 2025 : इस बार चतुर्दशी तिथि पर कई शुभ योग बन रहे हैं. जिनमें रवि और भद्रा योग शामिल हैं.

छिन्नमस्ता जयंती तिथि पर बन रहा है शुभ योग, यहां जानिए कैसे करें पूजा अर्चना और देवी को प्रसन्न
देवी छिन्नमस्ता को पवित्र जल चढ़ाएं और उनकी पूजा करें.

Chinnamasta jayanti 2025 : हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मां छिन्नमस्ता जयंती मनाई जाती है. इस दिन देवी छिन्नमस्ता देवी की पूजा करते हैं. इन्हें प्रचंड चंडिका के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है जो भी साधक इस दिन देवी छिन्नमस्ता की सच्चे मन से पूजा अर्चना और व्रत करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में आने वाली कठिनाईय़ां भी दूर होती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं देवी छिन्नमस्ता जंयती की तिथि, पूजा विधि और मुहूर्त...

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छिन्नमस्ता जयंती तिथि 2025 - Chhinnamasta Jayanti Date 2025

आपको बता दें कि वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 10 मई को शाम 5 बजकर 29 मिनट से शुरु होगी, जो 11 मई को रात 8 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार यह व्रत 11 मई को रखा जाएगा. 

छिन्नमस्ता जयंती शुभ योग 2025 - Chhinnamasta Jayanti auspicious yog 2025

इस बार चतुर्दशी तिथि पर कई शुभ योग बन रहे हैं. जिनमें रवि और भद्रा योग शामिल हैं. जो विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है. इस योग में पूजा करना शुभ फलदायी होता है. 

छिन्नमस्ता जयंती की पूजा विधि - Chhinnamasta Jayanti puja vidhi

  1. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
  2. इसके बाद हाथ जोड़कर देवी छिन्नमस्ता का आवाहन करें 
  3. देवी छिन्नमस्ता को पवित्र जल चढ़ाएं और उनकी पूजा करें.
  4. देवी छिन्नमस्ता को फूल चढ़ाएं .
  5. धूप और दीप जलाएं फिर आरती करें.
  6. अब देवी छिन्नमस्ता को नैवेद्य चढ़ाएं.
  7. देवी के मंत्रों का जाप करें.

आपको बता दें कि छिन्नमस्ता देवी को तंत्र मंत्र दोनों विधियों से प्रसन्न किया जा सकता है. यह अघोरियों की इष्ट देवी हैं. 

छिन्नमस्ता मंत्र - Chinnamasta Mantra

‘ॐ श्रीं ह्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये ह्रीं ह्रीं फट् स्वाहा' यह मंत्र देवी छिन्नमस्ता की पूजा के दौरान किया जाता है. 

छिन्नमस्ता दस महाविद्याओं में से एक हैं और उन्हें देवी के विनाशकारी रूप में पूजा जाता है. यह देवी जीवन और मृत्यु दोनों की प्रतीक मानी जाती हैं. साथ ही यह देवी आत्म-नियंत्रण का प्रतिनिधित्व भी करती हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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