
Skandpuran prediction about kedarnath and Badrinath : हिन्दू धर्म में चार धाम की यात्रा का विशेष महत्व है. मान्यता है इससे पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही कारण है हर साल लाखों श्रद्धालु यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके सारे दुख, दर्द और कष्ट दूर कर पापों से मुक्ति प्रदान करें. साथ ही उनकी आस्था में किसी तरह की अगर भूल हुई है, तो क्षमा करें. आपको बता दें कि इस साल चारधाम की यात्रा 30 अप्रैल से शुरू हो गई है. ऐसे में हर दिन हजारों लाखों की संख्या में श्रद्धालु कठिन चढ़ाई करते हुए केदारनाथ और बद्रीनाथ पहुंच रहे हैं.
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केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड की ऊंची हिमालय चोटियों पर स्थित है, जो न केवल पौराणिक बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान माने जाते हैं. यह लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं. लेकिन आने वाले समय में स्कंदपुराण में बहुत ही हैरान कर देने वाली भविष्यवाणी की गई है, जिसके अनुसार यह दोनों धाम एक समय के बाद लुप्त हो जाएंगे. जी हां, आपने सही पढ़ा. जिसके बाद भक्तों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या सचमुच में ऐसा होगा और अगर ऐसा होगा तो उसके बाद फिर क्या होगा? आपके इन्हीं सवालों के जवाब आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र से.

आस्था फैशन और तीर्थ स्थल टूरिस्ट प्लेस बन गए हैं
पंडित अरविंद मिश्र केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के लुप्त होने को लेकर कहते हैं कि सनातन धर्म में पूजा, आराधना, साधना एवं भक्ति का विशेष महत्व है. हमारे अपने इष्ट एवं आराध्य के प्रति भक्ति ही किसी भी तीर्थ अथवा घर में स्थित प्रतिमा को साक्षात भगवान का ही रूप माना जाता है. लेकिन वर्तमान समय में लोगों ने पूजा को फैशन बना दिया है और तीर्थ को पर्यटन स्थल समझने लगे हैं. जो आस्था कम और बनावटीपन ज्यादा लगता है.
जहां पहले लोग लोग तीर्थ यात्रा के लिए घर से ये बोलकर निकलते थे कि हम तीर्थ यात्रा पर या देव दर्शन के लिए जा रहे हैं. वहीं, आज लोग घूमने जा रहे हैं ऐसा कहकर घर से यात्रा आरंभ करते हैं. अर्थात तीर्थ में और भगवान के प्रति आस्था कम हो रही है. यह सब लोगों की बदलती सोच का प्रभाव है.
जब तीर्थ का और देव प्रतिमाओं का अनादर बढ़ता जाएगा तब आने वाले समय में कलयुग में बद्रीनाथ धाम और केदारनाथ धाम गायब हो जाएंगे. अथवा अदृश्य हो जाएंगे. इस प्रकार की भविष्यवाणी हमारे चार वेद एवं 18 पुराणों में से एक प्रमुख स्कंद पुराण में की गई है. स्कंद पुराण में की गई भविष्यवाणी के अनुसार जो कि हिंदू धर्म के सबसे बड़े पुराणों में से एक है कलियुग के हजारों वर्षों बाद और इसके अंत से पूर्व केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम जैसे प्रमुख तीर्थ स्थल अदृश्य हो जाएंगे या नष्ट हो जाएंगे.
भविष्य बद्री और केदारनाथ के तीर्थ स्थल का होगा उदय

कलियुगे क्षये प्राप्ते बदरी नारायणं हरिः।
अपसृत्य हिमवतः कुन्तीकण्ठे स्थिता शिवाः॥
इसका अर्थ है: कलियुग के अंत में भगवान नारायण (बद्रीनाथ) हिमालय क्षेत्र से प्रकट होकर अन्य स्थान की ओर प्रस्थान करेंगे. इसी प्रकार भगवान केदार (शिव) भी केदार क्षेत्र छोड़कर अन्य स्थानों पर स्थित होंगे.
अदृश्य होने के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव किसी अन्य स्थान पर वास करेंगे. जहां उन्हीं भक्तों को दर्शन देंगे जिनमें आस्था और भक्ति होगी. जोशीमठ में स्थित भगवान नरसिंह देव के विग्रह से हाथ अलग हो जाएंगे. अर्थात धीमे-धीमे उंगलियां पतली होने लगेंगी. जब वह पूरी तरह टूट जाएंगी तब बद्री धाम का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और इसका रास्ता हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. इसके बाद भविष्य बद्री और भविष्य केदारनाथ के तीर्थ स्थल का उदय होगा.
इस भविष्यवाणी का तात्पर्य यह बिल्कुल नहीं है की कोई शक्ति जाकर इन मंदिरों को तोड़ देगी या नष्ट कर देगी. बल्कि स्कंद पुराण के अनुसार कलियुग के अंत में जब धर्म का पतन अपने चरम पर होगा, तब यह दिव्यस्थल अपनी आध्यात्मिक शक्ति को समेट लेंगे और अदृश्य या भक्तों की पहुंच से दूर हो जाएंगे. तब भगवान अन्य स्थानों पर निवास करेंगे. जहां केवल सच्चे भक्त ही पहुंच पाएंगे.
भविष्य बद्री ही कलयुग के बाद सच्चे भक्तों की साधना का केंद्र बनेगा. धार्मिक दृष्टि से और आध्यात्मिक दृष्टि से स्कंद पुराण की इस भविष्यवाणी से हमको पता चलता है कि धर्म सत्य और भक्ति के बिना पवित्र तीर्थ भी अदृश्य हो जाएंगे .

2013 केदारनाथ आपदा है बड़ी चेतावनी!
उपरोक्त भविष्यवाणी यह चेतावनी है कि कलियुग में हमें धर्म का पालन करना चाहिए, ताकि कलयुग में पवित्र स्थल और उनकी कृपा हम पर बनी रहे. 2013 में केदारनाथ में भीषण आपदा को भी कुछ लोग इस भविष्यवाणी की झलक मानते हैं.
वहीं, हाल ही में 15 जून 2025 को रुद्र प्रयाग में एक हेलिकाप्टर दुर्घटना ग्रस्त हो गया है. जिसमें सवार सभी तीर्थ यात्रियों के मृत्यु हो गई. कुछ लोग इसे वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार आधुनिक दृष्टिकोण के रूप में प्रतीकात्मक मानते हैं कि अगर हम पर्यावरण का नाश करेंगे तो धर्म हमसे दूर होता चला जाएगा. जैसा कि आप देख रहे हैं प्राकृतिक आपदाएं या सामाजिक पतन की घटनाओं में वृद्धि हो रही है.

इसलिए हम सभी की जिम्मेदारी बनती है कि तीर्थ स्थलों को पर्यटन स्थल नहीं बनाना है. हमें तीर्थों में देवी देवताओं का अनादर करना उनके साथ फोटो खींचना और रील बनना, प्राकृतिक चीजों को नष्ट और हानि पहुंचाने से और गंदा करने से बचना होगा.
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