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This Article is From Apr 07, 2022

Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के छठे दिन की जाती है मां कात्यायनी की पूजा, मान्यतानुसार इन 5 बातों का रखा जाता है खास ख्याल 

Chaitra Navratri: मां कात्यायनी की नवरात्रि के छठे दिन विधिवत पूजा की जाती है. आप भी पूजा के दौरान इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें. 

Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के छठे दिन की जाती है मां कात्यायनी की पूजा, मान्यतानुसार इन 5 बातों का रखा जाता है खास ख्याल 
Katyayani Maa: नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. 

Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि के छठे दिन विधि-विधान से माता कात्यायनी की पूजा की जाती है. माना जाता है कि माता कात्यायनी ने ही राक्षस महिषासुर का वध किया था जिस चलते उन्हें महिषासुरमर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है. मां कात्यायनी के जन्म के संबंध में पौराणिक कथाओं में लिखा है कि उनकी रचना ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियों को मिलाकर हुई थी. मान्यातानुसार मां कात्यायनी (Maa Katyayani) का जन्म असुरों का नाश करने के लिए हुआ था. मां कात्यायनी की काया स्वर्ण जैसी मानी जाती है. चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी सिंह की सवारी करती हैं. 

नवरात्रि का छठा दिन | Sixth Day of Navratri 

कहते हैं मां कात्यायनी की पूजा (Katyayani Puja) करने पर घर की नकारात्मकता भी बाहर निकल जाती है. अच्छे वर की आस करते हुए भी लड़कियां देवी कात्यायनी का व्रत व उपासना करती हैं. 

पूजा करने के लिए सुबह सवेरे उठकर स्नान के बाद मां कात्यायनी की चौकी सजाई जाती है. माता के स्थान को साफ करके जोत जलाई जाती है और उनकी आरती व मंत्र (Katyayani Mantra) का जाप किया जाता है. मां को पुष्प, कुमकुम और भोग अर्पित करने के बाद सभी को प्रसाद बांटकर पूजा समाप्त होती है.

ध्यान में रखें ये 5 बातें 

  1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 7 अप्रैल की सुबह 9 बजकर 8 मिनट से 10 बजकर 45 मिनट तक राहुकाल चल रहा है इसलिए इस समय मां कात्यायनी की पूजा नहीं करनी चाहिए.
  2. मां कात्यायनी को भोग (Katyayani Bhog) में शहद और शहद से बनी चीजें अर्पित करना शुभ माना जाता है.
  3. इस दिन लाल रंग की विशेष मान्यता है क्योंकि माना जाता है कि मां कात्यायनी को लाल रंग अतिप्रिय है.
  4. पूजा करते समय मां कात्यायनी को लाल गुलाब के फूल चढ़ाए जाते हैं. 
  5. इस दिन मान्यतानुसार मां कात्यायनी मंत्र 'या देवी सर्वभूतेषु मा कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥' का जाप किया जाता है. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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