Chaitra Navratri: हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है और उतना ही महत्व कन्यापूजन का भी है. मान्यतानुसार नवरात्रि की अष्टमी (Ashtami) या नवमी (Navami) तिथि के दिन कन्यापूजन किया जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, इस चलते नवरात्रि कन्यापूजन (Kanya Pujan) में नौ कन्याओं को घर में भोग, प्रसाद व मिष्ठान आदि खिलाया जाता है. साथ ही, पूरे मन से उपहार भी दिए जाते हैं. माना जाता है कि ये नौ कन्याएं नौ देवियों का रूप होती हैं.
कन्या पूजन में उपहार
कन्यापूजन में कन्याओं को भोजन कराने के साथ ही उपहार अथवा भेंट भी दी जाती है. इस वर्ष कन्यापूजन का शुभ समय अष्टमी के पूरे दिन अर्थात रात 1 बजकर 23 मिनट तक माना जा रहा है. लेकिन, मुख्यरूप से सुबह के समय कंजक खिलाई जाती है. कन्यापूजन में 2 से 11 साल की उम्र की कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है. उपहार में कन्याओं को वो चीजें दी जाती हैं जो मां दुर्गा की प्रिय मानी जाती हैं और छोटी-छोटी प्यारी कन्याओं को भी खूब भाती हैं.
- मां दुर्गा का प्रिय रंग लाल माना जाता है और लाल रंग को पूजा-पाठ में बेहद शुभ भी मानते हैं. जब कंजक बैठाई जाती है तो लाल रंग के वस्त्र या माता की चुनरी भेंट में कन्याओं को देना अच्छा मानते हैं.
- दक्षिणा का भी कन्यापूजन में खास स्थान है. माना जाता है कि दक्षिणा देने से स्वयं मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. कंजक के शगुन के रूप में कन्याओं को 11, 21, 51 या 101 रुपए की शुभ राशि दी जाती है.
- नवरात्रि में मां दुर्गा के साज-श्रृंगार की विशेष मान्यता है. मां दुर्गा का पूजा में सौलह श्रृंगार किया जाता है. जब घर में कंजक कराई जाती है तो कन्याओं को भी उपहार में सौलह श्रृंगार में से कोई भी एक चीज दिए जाने को शुभ माना जाता है. उपहार में चूड़ियां, बालियां या काजल जैसी चीजें दी जा सकती हैं.
- कन्यापूजन में कन्याओं को फल देना अच्छा माना जाता है. फल में केले या सेब दिए जा सकते हैं. मां दुर्गा की पसंद का ध्यान रखते हुए कंजक में फल देने की मान्यता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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