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This Article is From Apr 02, 2020

Chaitra Navratri 2020: नवमी के दिन इस तरह करें कन्‍या पूजन? जानिए सरल औ विस्‍तृत विधि

Kanjak Puja: नवरात्र (Navratri) के आठवें या नवें दिन नौ कन्‍याओं को बुलाकर कन्‍या पूजन किया जाता है. मान्‍यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा अपने भक्‍तों से खुश होती हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं.

Chaitra Navratri 2020: नवमी के दिन इस तरह करें कन्‍या पूजन? जानिए सरल औ विस्‍तृत विधि
Kanya Puja: अष्‍टमी या नवमी के दिन कन्‍या पूजन करना मंगलकारी माना जाता है
नई दिल्ली:

देश भर में चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri) की धूम है. शक्ति की देवी मां दुर्गा (Maa Durga) के नौ रूपों की पूजा का यह उत्‍सव अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है. नवरात्र के आठवें और नौवें दिन यानी कि अष्‍टमी (Ashtami) और नवमी (Navami) को कन्‍या पूजन (Kanya Pujan) कर व्रत का पारण किया जाता है. आप अपनी सुविधानुसार अष्‍टमी या नवमी में से कोई भी दिन चुन कर कन्‍या पूजन कर सकते हैं. कन्‍या पूजन के लिए नौ कन्‍याओं की पूजा करने का विधान है. यही नहीं जो लोग पूरे नौ दिनों तक व्रत नहीं रख पाते हैं वे भी अष्‍टमी या नवमी का व्रत रखते हैं और कंजक पूजा (Kanjak Puja) भी करते हैं. चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन ही राम नवमी (Ram Navami) मनाई जाती है.

अष्‍टमी और नवमी कब हैं?
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन अष्‍टमी और नौवें दिन नवमी मनाई जाती है. इस बार अष्‍टमी 1 अप्रैल को है, जबकि नवमी 2 अप्रैल को मनाई जाएगी. इसी दिन राम नवमी का त्‍योहार भी है.

कैसे मनाई जाती है अष्‍टमी और नवमी?
अष्‍टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें रूप यानी कि महागौरी का पूजन किया जाता है. सुबह महागौरी की पूजा के बाद घर में नौ कन्‍याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित किया जाता है. सभी कन्‍याओं और बालक की पूजा करने के बाद उन्‍हें हल्‍वा, पूरी और चने का भोग दिया जाता है. इसके अलावा उन्‍हें भेंट और उपहार देकर विदा किया जाता है. वहीं, नवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा के बाद कंजक पूजी जाती हैं. हालांकि, दोनों दिन में से किसी एक ही दिन कन्‍या पूजन करना किया जाता है. 

कैसे करें कन्‍या पूजन?
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अष्‍टमी के दिन कन्‍या पूजन के दिन सुबह-सवेरे स्‍नान कर भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें.
- अगर नवमी के दिन कन्‍या पूजन कर रहे हैं तो भगवान गणेश की पूजा करने के बाद मां सिद्धिदात्री की पूजा करें.
- कन्‍या पूजन के लिए दो साल से लेकर 10 साल तक की नौ कन्‍याओं और एक बालक को आमंत्रित करें. आपको बता दें कि बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है. मान्‍यता है कि भगवान शिव ने हर शक्ति पीठ में माता की सेवा के 
लिए बटुक भैरव को तैनात किया हुआ है. कहा जाता है कि अगर किसी शक्‍ति पीठ में मां के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं.
- ध्‍यान रहे कि कन्‍या पूजन से पहले घर में साफ-सफाई हो जानी चाहिए. कन्‍या रूपी माताओं को स्‍वच्‍छ परिवेश में ही बुलाना चाहिए. 
- कन्‍याओं को माता रानी का रूप माना जाता है. ऐसे में उनके घर आने पर माता रानी के जयकारे लगाएं. 
- अब सभी कन्‍याओं को बैठने के लिए आसन दें.
- फिर सभी कन्‍याओं के पैर धोएं. 
- अब उन्‍हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. 
- इसके बाद उनके हाथ में मौली बाधें. 
- अब सभी कन्‍याओं और बालक को घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती उतारें. 
- आरती के बाद सभी कन्‍याओं को यथाशक्ति भोग लगाएं. आमतौर पर कन्‍या पूजन के दिन कन्‍याओं को खाने के लिए पूरी, चना और हलवा दिया जाता है. 
- भोजन के बाद कन्‍याओं को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें.
- इसके बाद कन्‍याओं के पैर छूकर उन्‍हें विदा करें.

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