चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के पहले दिन मां दुर्गा (Maa Durga) के प्रथम रूप शैलपुत्री (Shailputri) का पूजन किया जाता है. मान्यता है कि शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं. नवरात्रि में शैलपुत्री पूजन का विशेष महत्व है. हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इनके पूजन से मूलाधार चक्र जाग्रत हो जाता है. कहते हैं कि जो भी भक्त श्रद्धा भाव से मां की पूजा करता है उसे सुख और सिद्धि की प्राप्ति होती है
कौन हैं मां शैलपुत्री?
पौराणिक कथा के अनुसार मां शैलपुत्री अपने पिछले जन्म में भगवान शिव की अर्धांगिनी (सती) और दक्ष की पुत्री थीं. एक बार जब दक्ष ने महायज्ञ का आयोजन कराया तो इसमें सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया, परंतु भगवान शंकर को नहीं बुलाया गया. उधर, सती यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो रही थीं. शिवजी ने उनसे कहा कि सारे देवताओं को निमंत्रित किया गया है लेकिन उन्हें नहीं; ऐसे में वहां जाना उचित नहीं है. सती का प्रबल आग्रह देखकर भगवान भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी. सती जब घर पहुंचीं तो वहां उन्होंने भगवान शिव के प्रति तिरस्कार का भाव देखा. दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक शब्द कहे. इससे सती के मन में बहुत पीड़ा हुई. वे अपने पति का अपमान सह न सकीं और यज्ञ की अग्नि से स्वयं को जलाकर भस्म कर लिया. इस दारुण दुःख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने उस यज्ञ को विध्वंस कर दिया. फिर यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं.
मां शैलपुत्री का रूप
मां शैलपुत्री को करुणा और ममता की देवी माना जाता है. शैलपुत्री प्रकृति की भी देवी हैं. उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है. शैलपुत्री का वाहन वृषभ यानी कि बैल है.
कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा
- नवरात्रि के पहले दिन स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है.
- शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने के साथ व्रत का संकल्प लिया जाता है.
- कलश स्थापना के बाद मां शैलपुत्री का ध्यान करें.
- मां शैलपुत्री को घी अर्पित करें. मान्यता है कि ऐसा करने से आरोग्य मिलता है.
- नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री का ध्यान मंत्र पढ़ने के बाद स्तोत्र पाठ और कवच पढ़ना चाहिए.
- शाम के समय मां शैलपुत्री की आरती कर प्रसाद बांटें.
- फिर अपना व्रत खोलें.
मां शैलपुत्री का पसंदीदा भोग
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि का पहले दिन देवी मां शैलपुत्री के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है और तथा सभी व्याधियां दूर होकर शरीर निरोगी रहता है.
मां शैलपुत्री का पसंदीदा रंग
मां शैलपुत्री का पसंदीदा रंग लाल है, जो कि उल्लास, साहस और शक्ति का रंग माना जाता है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार इस दिन लाल रंग का प्रयोग करने पर मां शैलपुत्री शीघ्र प्रसन्न होकर निर्णय क्षमता में वृद्धि करती हैं और इच्छित फल प्रदान करती हैं.
मां शैलपुत्री ध्यान मंत्र
मां शैलपुत्री को इन मंत्रों से प्रसन्न किया जाता है:
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
पुणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता।।
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्।।
मां शैलपुत्री स्तोत्र पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहिभवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्यदायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहिमहामोह: विनाशिन।
मुक्तिभुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥
मां शैलपुत्री कवच
ओमकार: मेंशिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
श्रींकारपातुवदने लावाण्या महेश्वरी ।
हुंकार पातु हदयं तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पात सर्वागे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥
मां शैलपुत्री की आरती
शैलपुत्री मां बैल असवार। करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।
पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुख तकलीफ मिला दो।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।
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